कर्ज देना है सदका, कर्ज देने पर क्या कहता है इस्लाम और कुरआन?
Siraj Mahi
Oct 31, 2023
इस्लाम में कर्ज देने को अच्छा बताया गया है. इस्लाम में बताया गया है कि कर्ज देना किसी को भीख देने से बेहतर है.
ऐसा इसलिए क्योंकि जो शख्स भीख मांग रहा होता है, उसके पास कुछ होता है, लेकिन जो शख्स कर्ज मांग रहा होता है, उसके पास कुछ नहीं होता है.
इस्लाम कहता है कि अल्लाह ने जिसे भी उसकी जरूरत से ज्यादा माल दिया है, उसको चाहिए कि वह अपने से गरीब लोगों की मदद करे.
मदद करने की एक सूरत यह भी हो सकती है कि जरूरतमंदों को कर्ज दिया जाए. कर्ज देना सवाब का काम है.
अगर कोई शख्स वक्त पर कर्ज वापस न कर सके तो उसे थोड़ी मोहलत दे तो ये दोहरे सवाब का काम है. अगर कर्जदार कर्जा वापस न कर सके, तो उसे माफ कर देने से अल्लाह बहुत खुश होता है.
हदीस उलमुंजिरी के मुताबिक प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया "हर कर्ज सदका (पुण्य) है."
इसी तरह से कुरान में जिक्र है कि "तंगदस्त कर्जदार का कर्ज माफ कर दो, तो यह बेहतरीन काम है, बशर्ते तुम जानो कि इसके बदले में कितना बड़ा इनाम मिलने वाला है." (सूरा: बकरा, आयत 280)
अगर कोई शख्स कर्ज चुकाने के काबिल है और वह कर्ज नहीं चुका रहा है तो यह जुल्म है, अत्याचार है.
अगर कोई शख्स कर्ज लेकर इस दुनिया से गुजर जाता है, तो अल्लाह के यहां उसकी पकड़ होगी चाहे कितना भी नेक रहा हो.