Gulza Poetry: "एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है..."

Siraj Mahi
Nov 10, 2024

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है

आप के बा'द हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है

जब भी ये दिल उदास होता है, जाने कौन आस-पास होता है

शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है

आदतन तुम ने कर दिए वादे, आदतन हम ने ए'तिबार किया

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ, उस ने सदियों की जुदाई दी है

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ, उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

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