जरूरी चीजों को जमा करना है हराम, जमाखोरी पर क्या कहता है इस्लाम?

Siraj Mahi
Nov 01, 2023


जिस तरह किसी देश की सरकारें ज़रूरी वस्तुओं की जमाखोरी के खिलाफ कानून बनाकर उसे अवैध करार देती हैं, उसी तरह इस्लाम में भी इस अमल को हराम करार दिया गया है.


इस्लाम में जमाखोरी को गलत बताया गया है. अक्सर व्यापारी किसी चीज को जमा कर लेते हैं. उसे बाजार में नहीं लाते हैं, उसकी पहले फर्जी कमी पैदा करते हैं.


ऐसा करने से बाजार में उस चीज की कमी होने पर उसके रेट बढ़ जाते हैं. उसके बाद व्यापारी जमा किया हुआ माल बाजार में लाते हैं और उससे महंगी कीमतों पर बेचकर खूब मुनाफा कमाते हैं.


अक्सर व्यापारियों की ये सोच होती है. इसी पर प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने चोट की है, क्योंकि इस सोच से इंसान बेरहम और लालची हो जाता है, जबकि इस्लाम लोगों के साथ दया दिखाने की ताकीद करता है.


जमाखोरी सिर्फ अनाज की नहीं होती है. इसमें तेल, घी, चीनी और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें शामिल होती हैं. अगर कोई शख्स इन चीजों को जमा करेगा तो वह गुनहगार होगा.


जमाखोरी के बारे में प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने कहा है कि कितना बुरा है जरूरत की चीजों को रोके रखने वाला आदमी. अगर भाव गिरता है, तो वह मायूस होता है और जब महंगाई होती है, तो वह खुश होता है.


इस बारे में हदीस में जिक्र है कि "प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: जिस व्यापारी ने जमाखोरी की वह गुनहगार है." (हदीस: अल-मुंतका)


"प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: जो व्यापारी जरूरत की चीजों को नहीं रोकता, बल्कि वक्त रहते बाजार में लाता है, वह अल्लाह की रहमत का हकदार है, अल्लाह उसे रोजी देगा. हां, आम जरूरत की चीजों को रोकने वाले पर खुदा की फिटकार है." (हदीस: इब्ने-माजा)


प्रोफोट मोहम्मद (स.) ने यह भी बताया कि किसी व्यापारी के लिए यह जायज नहीं कि वह कोई माल बेचे और उसका नुक्स खरीददार को न बताए.

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