'इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद', जोश मलिहाबादी के शेर

Siraj Mahi
Nov 18, 2023


मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है... उम्र का बेहतरीन हिस्सा है


तबस्सुम की सज़ा कितनी कड़ी है... गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है


इंसान के लहू को पियो इज़्न-ए-आम है... अंगूर की शराब का पीना हराम है


वहाँ से है मिरी हिम्मत की इब्तिदा वल्लाह... जो इंतिहा है तिरे सब्र आज़माने की


सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही का... जब उस ने वादा किया हम ने ए'तिबार किया


इस दिल में तिरे हुस्न की वो जल्वागरी है... जो देखे है कहता है कि शीशे में परी है


अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर की... वो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया


वो करें भी तो किन अल्फ़ाज़ में तेरा शिकवा... जिन को तेरी निगह-ए-लुत्फ़ ने बर्बाद किया


इस का रोना नहीं क्यूँ तुम ने किया दिल बर्बाद... इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया

VIEW ALL

Read Next Story