दिल है प्यासा हुसैन के मानिंद, ये बदन कर्बला का मैदाँ है

Siraj Mahi
Jul 15, 2024

मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो, साँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है

बुलंद हाथों में ज़ंजीर डाल देते हैं, अजीब रस्म चली है दुआ न माँगे कोई

जब भी ज़मीर-ओ-ज़र्फ़ का सौदा हो दोस्तो, क़ाएम रहो हुसैन के इंकार की तरह

फिर कर्बला के ब'अद दिखाई नहीं दिया, ऐसा कोई भी शख़्स कि प्यासा कहें जिसे

साँस लेता हूँ तो रोता है कोई सीने में, दिल धड़कता है तो मातम की सदा आती है

कल जहाँ ज़ुल्म ने काटी थीं सरों की फ़सलें, नम हुई है तो उसी ख़ाक से लश्कर निकला

तुम जो कुछ चाहो वो तारीख़ में तहरीर करो, ये तो नेज़ा ही समझता है कि सर में क्या था

किस शेर की आमद है कि रन कांप रहा है, रुस्तम का जिगर जेर कफन कांप रहा है

खास से है खाक को उल्फत तड़पता हूं अनीस, कर्बला के वास्ते मैं कर्बला के लिए

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