भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को सादगी, उच्च आदर्श और शालीनता के लिए जाना जाता है. आइये जानते हैं उनके बारे में 10 बड़े फैक्ट्स

Sami Siddiqui
Oct 02, 2024


शास्त्री के निधन पर भारत के साथ न केवल पाकिस्तान बल्कि सोवियत संघ का झंडा भी झुकाया था.


अमेरिका के गेंहू रोकने की धमकी के बाद भी पाकिस्तान से हार मानने को तैयार नहीं हुए थे शास्त्री, उस वक्त भारत काफी हद तक अमेरिका से आने वाले गेंहू पर निर्भर था.

एक दिन में एक बार खाना
इसके बाद उन्होंने लोगों से एक दिन में एक बार खाना खाने के लिए कहा.

उसूल के पक्के
नेहरू मंत्रीमंडल से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपने घर में बिजली जलाना बंद कर दिया. जहां बैठते बस वहीं की बिजली जलाते.

ऊन के स्वेटर में रहे शास्त्री
ताशकंद सम्मेलन में शिरकत के दौरान सोवियत संघ के प्रधानमंत्री एलेक्सी कोश्यिन ने लाल बहादुर शास्त्री को कोट दिया.


लेकिन कड़ाके की ठंड के बावजूद उन्होंने यह कोट उस साथी को दे दिया जिसके पास पहनने के लिए गर्म कपड़ा नहीं था. वह कड़ाके की ठंड में केवल ऊन के एक स्वेटर में रहे थे.

कुछ ही घंटो बाद निधन
11 जनवरी 1966 में ताशकंद समझौते पर साइन करने के कुछ ही घंटों बाद लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था.


उनके पार्थिव शरीर को देखकर उनके आलोचक और पाकिस्तान सेना अधिकारी अयूब खान ने कहा था,"यहां एक ऐसा शख्स लेटा हुआ है जो भारत और पाकिस्तान को साथ ला सकता था."


जब उनकी डेड बॉडी को ताशकंद हवाई अड्डे लाया गया तो वहां भारत, पाकिस्तान और सोवियत का झंडा झुका हुआ था. उन्हें कंधा देने वालों में अयूब खान और सोवियत के पीएम भी थे.


अपनी मौत के समय शास्त्री के पास भारत में न कोई पैसा था न ही कोई जमीन-जायदाद.

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