"नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा", शायर मीर तकी मीर के शेर

Siraj Mahi
May 13, 2024

शायर मीर तकी मीर
मीर तकी मीर का असली नाम मोहम्मद तकी है. वह उत्तर प्रदेश के आगरा में पैदा हुए. उनकी गजलों दर्द है बेबसी है. आम आदमी की कहानी है.


कोई तुम सा भी काश तुम को मिले... मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है


याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ... नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा


फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे... पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत


क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़... जान का रोग है बला है इश्क़


पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है... जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है


जख्म झेले दाग भी खाए बहुत... दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत


गुल हो महताब हो आईना हो खुर्शीद हो मीर... अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो


आग सी इक दिल में सुलगे है कभू भड़की तो 'मीर'... देगी मेरी हड्डियों का ढेर जूँ ईंधन जला

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