"हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे..." उर्दू के बेहतरीन शेर

Siraj Mahi
Jun 29, 2024

कौन सी बात है तुम में ऐसी... इतने अच्छे क्यूँ लगते हो

ज़बाँ रखता हूँ लेकिन चुप खड़ा हूं... मैं आवाज़ों के बन में घिर गया हूँ

गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़... छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे

जो दे सका न पहाड़ों को बर्फ़ की चादर... वो मेरी बाँझ ज़मीं को कपास क्या देगा

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे... तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर

यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं 'मोहसिन'... वो काँच का पैकर है तो पत्थर तिरी आँखें

सिर्फ़ हाथों को न देखो कभी आँखें भी पढ़ो... कुछ सवाली बड़े ख़ुद्दार हुआ करते हैं

अब तक मिरी यादों से मिटाए नहीं मिटता... भीगी हुई इक शाम का मंज़र तिरी आँखें

कहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सितमगरी की... कि मैं गुलाबों के ज़ख़्म काँटों से सी रहा हूँ

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