"खुदा करे कि तिरे हुस्न को जवाल न हो, मैं चाहता हूं तुझे यूंही उम्र-भर देखूं"

Siraj Mahi
Aug 13, 2024

दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं, साँस लेने से टूट जाते हैं

यूँ तो वो हर किसी से मिलती है, हम से अपनी ख़ुशी से मिलती है

वो इक तिलिस्म था क़ुर्बत में उस के उम्र कटी गले लगा के उसे उस की आरज़ू करते

इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं, और यूँ होश से रहने में भी नादानी है

हम अंजुमन में सब की तरफ़ देखते रहे, अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला

मैं किस के हाथ पे अपना लहू तलाश करूँ, तमाम शहर ने पहने हुए हैं दस्ताने

कोई रफ़ीक़ बहम ही न हो तो क्या कीजे, कभी कभी तिरा ग़म ही न हो तो क्या कीजे

मिरी रूह की हक़ीक़त मिरे आँसुओं से पूछो, मिरा मज्लिसी तबस्सुम मिरा तर्जुमाँ नहीं है

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ, मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है

VIEW ALL

Read Next Story