क्यूँ मिरे दोस्त मुझ से बचते हैं, ऐसा लगता है मुफ़्लिसी में हूँ

Siraj Mahi
Jul 20, 2024

अपने जल्वे वो आज़माएँगे, हौसले हम नज़र के देखेंगे

दूसरा फ़ैसला नहीं होता, इश्क़ में मशवरा नहीं होता

भूके बच्चों की तसल्ली के लिए, माँ ने फिर पानी पकाया देर तक

वो रुला कर हँस न पाया देर तक, जब मैं रो कर मुस्कुराया देर तक

वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे, बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे

भाई से भाई के कुछ तक़ाज़े भी हैं, सहन के बीच की दीवार अपनी जगह

मैं अपने बच्चों की ख़ातिर ही जान दे देता, मगर ग़रीब की जाँ का मुआवज़ा कम है

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते, दो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते

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