'मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा', नुशूर वाहिदी के शेर

Siraj Mahi
Oct 21, 2023

इक नज़र का फ़साना है दुनिया... सौ कहानी है इक कहानी से

मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ... मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा

हम ने भी निगाहों से उन्हें छू ही लिया है... आईने का रुख़ जब वो इधर करते रहे हैं

हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए... नज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए

गुनाहगार तो रहमत को मुँह दिखा न सका... जो बे-गुनाह था वो भी नज़र मिला न सका

मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ... मंज़िलों की बात है रास्ते में क्या कहूँ

मेरी आँखों में हैं आँसू तेरे दामन में बहार... गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूँ मैं

बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है... ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है... चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है

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