"हम उसे याद बहुत आएंगे, जब उसे भी कोई..." कतील शिफाई के शेर

Siraj Mahi
Aug 28, 2024

हम उसे याद बहुत आएँगे, जब उसे भी कोई ठुकराएगा

अहबाब को दे रहा हूँ धोका, चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ

आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए, मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम, दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में, ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे

जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ, जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं

दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं, लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन, देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं

अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख, इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है

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