नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है

Siraj Mahi
Aug 03, 2024

सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तों, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग, गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को, समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं, रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

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