Rahat Indori Poetry: ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

Siraj Mahi
Nov 05, 2023


दोस्ती जब किसी से की जाए... दुश्मनों की भी राय ली जाए


ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे... जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो... ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो


बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर... जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं


कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे... जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे


हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे... कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते


सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे... जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे


रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं... रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है


रात की धड़कन जब तक जारी रहती है... सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है

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