इन 10 सूरतों में न रहें रोजा; नहीं होगा कोई गुनाह

Siraj Mahi
Mar 17, 2024

यात्रा
अगर कोई सफर में हो तो उसे रोजा रखने से छूट है, लेकिन उसे बाद में कज़ा रोजा रखना होगा.

रोग
अगर डॉक्टर रोजा छोड़ने के लिए न भी कहे और खुद ऐसा लगे की रोजा रखने से बीमारी बढ़ सकती है, तो रोजा नहीं रखना चाहिए.

बीमारी
अगर मरीज बीमारी से ठीक हो गया हो, लेकिन उसे डर हो कि रोजा रखने से बीमारी के लौटने का खतरा हो तो रोजा न रखना जायज है.

माहवारी
औरत को अगर माहवारी शुरू हो गई है, तो उसके बंद होने तक रोजा नहीं रखने की छूट होती है. वह बाद में बदले में कज़ा रोजा रख सकती है.

गर्भवती
किसी गर्भवती औरत या बच्चे को दूध पिलाने वाली औरत को रोजा रखने से कोई दिक्कत हो रही हो, तो वह रोजा छोड़ सकती है, लेकिन इसके बदले में बाद में कजा रोज रखना होगा.

मौत
हदीस में है कि अगर किसी ने सफर या बीमारी की वजह से रोजा छोड़ा और फिर बीमारी या सफर के दौरान ही उसकी मौत हो गई तो, आखिरत में उससे उस रोजे का कोई हिसाब नहीं होगा.

सफर
अगर सफर ट्रेन या किसी दूसरे ऐसी सवारी से किया जा रहा हो और जिसमें सभी सहूलतें मौजूद हों तो रोजा नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन अगर कोई छोड़ देता है और बाद में कजा रोजा रखता है, तो ये सूरतें भी जायज हैं.

बुढ़ापा
अगर कोई इंसान इतना बूढ़ा या कमजोर हो, जिसमें रोजा रखने की ताकत ही न हो. ऐसे लोग रोजा छोड़ सकते हैं. ऐसे लोग अगर रोजाना किसी भूखे और गरीब इंसान को खाना खिलाएं तो उनके रोजे की अदायगी हो जाएगी.

मेहनत
ऐसा कोई शख्स जो बहुत जिस्मानी काम करता हो, लगातार सफर में रहता हो, जैसे रेल, बस, ट्रक का चालक या कोई और पेशेवर जिसके लिए रोजा रखकर अपना फर्ज निभाना मुश्किल हो रहा हो, वह लोग बाद में रमजान के रोजे की कजा रख सकते हैं.

मजनू
अगर कोई शख्स पागल, मजनू हो जाए, किसी वजह से अपना होश-ओ-हवास खो दे... तो उस पर रोजा फर्ज नहीं है.

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