'अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब', साहिर लुधियानवी के शेर

Siraj Mahi
Nov 13, 2023


यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना... तिरी याद तो बन गई इक बहाना


अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो... क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो


आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें... हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं


मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू... कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ


वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है... इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा


अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब... अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं


दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में... जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं


इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर... हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़


संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है... इक धुँद से आना है इक धुँद में जाना है

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