'क्या सबब तेरे बदन के गर्म होने का'; शाह मुबारक आरजू के शेर

Siraj Mahi
Oct 02, 2023

दूर ख़ामोश बैठा रहता हूँ... इस तरह हाल दिल का कहता हूँ

इश्क़ का तीर दिल में लागा है... दर्द जो होवता था भागा है

दिल कब आवारगी को भूला है... ख़ाक अगर हो गया बगूला है

तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है... कहाँ है किस तरह की है किधर है

तुम नज़र क्यूँ चुराए जाते हो... जब तुम्हें हम सलाम करते हैं

अगर देखे तुम्हारी ज़ुल्फ़ ले डस... उलट जावे कलेजा नागनी का

यारो हमारा हाल सजन सीं बयाँ करो... ऐसी तरह करो कि उसे मेहरबाँ करो

उस वक़्त जान प्यारे हम पावते हैं जी सा... लगता है जब बदन से तैरे बदन हमारा

क्या सबब तेरे बदन के गर्म होने का सजन... आशिक़ों में कौन जलता था गले किस के लगा

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