Mehndi Design: बकरीद पर चंद मिनटों में लगाएं मेहंदी के ये खूबसूतर डिजाइन; जानें क्यों मनाते हैं ये त्योहार

बकरीद

बकरीद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन लोग नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं. औरतें और लड़कियां बकरीद से पहले अपने हाथों में अलग-अलग डिजाइन की मेहंदी लगाती हैं.

क्यों मनाते हैं?

आइए आपको बताते हैं कि बकरीद क्यों मनाई जाती है. इस्लाम में मान्यता है कि पैगंबर इब्राहीम (अ) अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे को बकरीद के दिन कुर्बान करने के लिए ले जा रहे थे.

जीवनदान

जब वह अपने बेटे को अल्लाह की राह में कुर्बान कर रहे थे, तो अल्लाह ताला ने उनके बेटे को नई जिंदगी दी. उसकी जगह पर एक जानवर (दुंबा) की कुर्बानी हो गई. इसी की याद में बकरीद मनाई जाती है.

कुर्बानी

दरअसल, पैगंबर इब्राहीम (अ) ने ख्वाब में देखा था कि अल्लाह ने उन्हें हुक्म दिया कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करें. उस वक्त पैगंबर के लिए उनकी सबसे प्यारी चीज उनका बेटा था.

मिन्नतें मुरादें

हजरत इस्माईल (अ) की पैदाइश बहुत मिन्नतों और मुरादों के बाद हुई थी. अब्राहीम (अ) को ये बेटा बुढ़ापे में हुआ था. इसके बावजूद उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर उन्हें कुर्बान करने की ठानी.

बेटे पर कुर्बानी

अल्लाह के हुक्म के मुताबिक इब्राहीम (अ) ने अपनी आंखों पर पंट्टी बांध कर अपने बेटे की गर्दन पर छुरी चला दी. जब उन्होंने आंखें खोली तो देखा कि उनका बेटा बगल में खड़ा है और एक जानवर की कुर्बानी हो चुकी है.

अल्लाह की नाफरमानी

मान्यता है कि यह अल्लाह की तरफ से (ह.) इब्राहीम (अ.) का इम्तेहान था, कि कहीं वह अपने बेटे की मोहब्बत में अल्लाह की नाफरमानी तो नहीं करते हैं. लेकिन वह इस इम्तेहान में पास हो चुके थे.

क्या है पैगाम?

जानकारों के मुताबिक बकरीद मनाने का मतलब यह है कि आपको अपना माल जमा नहीं करना है. अपने माल-दौलत में गरीबों का भी हक समझना है. अल्लाह के हुक्म पर कुर्बानी करते रहना है.

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