तालिबान से क्यों खफा है यह पोर्न स्टार? एक नहीं कई हैं शिकायतें
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तालिबान से क्यों खफा है यह पोर्न स्टार? एक नहीं कई हैं शिकायतें

यासमीना अली (Yasmina Ali) के मुताबिक उन्होंने पॉर्न इंडस्टरी में कदम रखने से पहले ही मुस्लिम धर्म को त्याग दिया था. वह अपने आपको महिला कार्यकर्ता और अफगानिस्तान की इकलौती पॉर्न स्टार मानती हैं.

Yasmina Ali

नई दिल्ली: यासमीना अली (Yasmina Ali) अफ्गानिस्तान की इकलौती पोर्न एक्ट्रेस हैं. वह 90 के दशक में तालिबान से तंग आकर अफ्गानिस्तान से भागी थीं. उन्होंने हाल ही में लंदन के एक अख्बार को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने बड़े खुलासे किए हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें तालिबान राज्य में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा और तालिबान उन्हें कैसे ट्रीट करता था इस बारे में बताया है.

1990 की दहाई में किया था कब्जा

मशहूर पॉर्न स्टार यासमीना अली ने ब्रिटिश अखबार डेली स्टार (Daily Star) से बात की और अपनी जिंदगी की कड़वी सच्चाई बताई. यह 1990 की दहाई थी जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था. उस वक्त यासमीना अली एक छोटी बच्ची थीं. यासमीना अली के पास अपना घर नहीं था.

ऐसे बनीं पॉर्न स्टार

तालिबान के जुल्म से लोग अफगानिस्तान छोड़ रहे थे. यासमीना भी किस्मत वाली थीं कि वह अफगानिस्तान से भागने में कामयाब रहीं. यासमीना अली ब्रिटेन आ गईं. यहां उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरू की. इसके बाद किन्हीं हालात की वजह से यासमीना अली को पॉर्न फिल्मों में कदम रखना पड़ा. कुछ महीनों बाद यासमीना अली मशहूर पोर्न स्टार बन गईं. 

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मुस्लिम धर्म छोड़ा

यासमीना अली के मुताबिक उन्होंने पॉर्न इंडस्टरी में कदम रखने से पहले ही मुस्लिम धर्म को त्याग दिया था. वह अपने आपको महिला कार्यकर्ता और अफगानिस्तान की इकलौती पॉर्न स्टार मानती हैं. 

तालिबान को उनकी जानकारी है

यासमीना अली के मुताबिक ''तालिबान को उनकी वेबसाइट से सारी जानकारियां मिलती हैं. तालिबान मुझसे नफरत करते हैं क्योंकि वो नहीं चाहते हैं कि, अफगानिस्तान को पॉर्न हब के तौर पर जाना जाए. उन्हें इस बात नाराजगी है कि, मैंने अपना जिस्म दिखाने की हिम्मत कैसे की? उन्हें लगता है कि वे मेरे जिस्म के मालिक हैं और मैं अपने जिस्म के साथ क्या करती हूं और मुझे इसे दिखाने का कोई हक नहीं है. अगर मैं ऐसा करती हूं तो मैं एक सच्ची अफगान नहीं हो सकती''.

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मर्दों को भी पीटते थे तालिबान

यासमीना अली ने डेलीस्टार से बताया कि तालिबान के राज में उनकी जिंदगी तकलीफों से भरी हुई थी. उन्होंने बताया कि उनकी मां बताती थीं कि तालिबान के लिए बतात्कार जैसी कोई चीज नहीं होती. यासमीना के मुताबिक ''मैं उन अहसासों को नहीं भूली हूं. आप अपने आस-पास इस हिंसा को देखते हैं तो काफी निराश होते हैं. सिर्फ महिलाओं से ही नहीं, बल्कि तालिबान के लोग मुस्लिम मर्दों को भी बुरी तरह से पीटते थे''.

तालिबान देखते हैं मेरा वीडियो

यासमीना अली के मुताबिक ''मैं एक अफगान हूं और तालिबान के लोग मेरा वीडियो देखते होंगे, इसमें मुझे कोई हैरानी नहीं है. सिर्फ अफगान पॉर्न सर्च करने पर ही मेरा नाम आ जाता है.''

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सत्ता में बैठे लोग करते हैं जुल्म

यासमीना अली ने बताया कि ''तालिबान के लोग धार्मिक पोषाक नहीं पहनने के लिए लोगों को बुरी तरह से पीटते थे. ब्रिटेन में अगर कोई किसी महिला से हिंसा करता है, तो आप किसी को मदद के लिए बुलाती हैं या फिर पुलिस को फोन करती हैं, लेकिन अफगानिस्तान में आपके साथ वही लोग जुल्म कर रहे हैं, जो सत्ता पर काबिज हैं''.

महिलाओं शिक्षित करने से डरता है तालिबान

यासमीना जब 9 साल की थीं तब वह अफगानिस्तान में ही रहती थीं. तब उन्हें स्कूल जाने का हक नहीं था. उनके मुताबिक ''असल में तालिबान के लोग महिलाओं को शिक्षित करने से डरते हैं और उन्हें पढ़ी लिखी महिलाओं से डर लगता है. सभी नियम केवल पुरुषों के फायदे और आनंद के लिए हैं. माहवारी के दिनों में आपको अपवित्र और गंदा माना जाता है. महिलाओं के बिना कोई इंसान नहीं होगा लेकिन तालिबान को महिलाओं से काफी ज्यादा दिक्कते हैं, क्योंकि वो महिलाओं से डरते हैं और उनकी पूरी विचारधारा महिलाओं को काबू में करने की होती है.''

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