बांग्लादेश के अल्पसंख्यक पूर्व प्रधान न्यायाधीश को भ्रष्टाचार के मामले में इतने साल की सजा
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बांग्लादेश के अल्पसंख्यक पूर्व प्रधान न्यायाधीश को भ्रष्टाचार के मामले में इतने साल की सजा

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ( Former Chief Justice) सुरेंद्र कुमार सिन्हा (Surendra Kumar Sinha) को धनशोधन के अपराध में सात साल और आपराधिक विश्वास भंग के अपराध में चार साल की कारावास की सजा सुनाई. दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी. 

 

सुरेंद्र कुमार सिन्हा, साबिक प्रधान न्यायाधीश

ढाकाः बांग्लादेश की एक अदालत ने धनशोधन और विश्वास भंग से जुड़े एक मामले में मंगलवार को मुल्क के साबिक प्रधान न्यायाधीश ( Former Chief Justice)  सुरेंद्र कुमार सिन्हा (Surendra Kumar Sinha) को उनकी अनुपस्थिति में 11 साल की कारावास की सजा सुनाई. सिन्हा देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ( Minority Hindu Community) से पहले प्रधान न्यायाधीश बने थे. ढाका के विशेष न्यायाधीश चतुर्थ शेख नजमुल आलम ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश को धनशोधन के अपराध में सात साल और आपराधिक विश्वास भंग के अपराध में चार साल की कारावास की सजा सुनाई. दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी. सिन्हा (70) अभी अमेरिका में रह रहे हैं.

2015 से 2017 तक थे प्रधान न्यायाधीश
अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘(न्यायमूर्ति) सिन्हा धनशोधित राशि के प्रधान लाभार्थी हैं.’’ सिन्हा को फार्मर्स बैंक ,जिसे अब पद्म बैंक कहा जाता है, से कर्ज के तौर पर लिए गए 470000 अमेरिकी डॉलर के धनशोधन में 11 साल की कैद की सजा सुनाई गई. चार साल पहले सिन्हा ने विदेश यात्रा के दौरान अपने ओहदे से इस्तीफा दे दिया था. सरकार ने उनपर भ्रष्टाचार में शामिल रहने का इल्जाम लगाया था. सिन्हा जनवरी 2015 से नवंबर 2017 तक देश के 21वें प्रधान न्यायाधीश थे.

इस्तीफा के लिए मजबूर किया गयाः सिन्हा
वहीं सिन्हा ने इल्जाम लगाया है कि उन्हें इस्तीफा के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश के वर्तमान ‘अलोकतांत्रिक’ एवं ‘निरंकुश’ शसन का विरोध किया था. इस मामले में दस अन्य में से मोहम्मद शाहजां और निरंजन चंद्र साहा को बरी कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ इल्जाम साबित नहीं किए जा सके. अन्य को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई गई और जुर्माना लगाया गया.

इस तरह से किया फर्जीवाड़ा 
मामले के बयान के मुताबिक, अन्य आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 470000 डॉलर का ऋण लिया और उसे पे-आर्डर के जरिए सिन्हा के निजी खाते में डाल दिया. पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने नकद, चेक और पे-आर्डर के जरिए यह राशि दूसरे खाते में अंतरित कर दी. यह कृत्य भ्रष्टचार रोकथाम अधिनियम और धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है.

सिन्हा ने भारत से मांगा था सहयोग 
अपनी आत्मकथा ‘ए ब्रोकेन ड्रीम, रूल ऑफ लॉ, ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी’ में सिन्हा ने कहा कि 2017 में धौंस एवं धमकी के जरिए उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कुछ गैर सरकारी अखबारों पर उनका समर्थन करने का आरोप लगाया था. पुस्तक के विमोचन के बाद सिन्हा ने भारत से बांग्लादेश में कानून के शासन एवं लोकतंत्र का समर्थन करने की अपील की थी.

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