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यूक्रेन मसले पर सुरक्षा परिषद में भारत ने मतदान में फिर नहीं लिया हिस्सा, किया है फैसले का स्वागत

भारत , चीन और संयुक्त अरब अमीरात रविवार को एक प्रक्रियात्मक मतदान पर 193-सदस्यीय महासभा में हिस्सा नहीं लेने वाले तीन देश थे और यह आपात बैठक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर बुलाई गई थी. 

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

Russia-Ukrain Crisis: भारत ने यूक्रेन मामले पर सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में तीसरी बार हिस्सा नहीं लिया. लेकिन भारत ने कहा है कि वह यूक्रेन और रूस के बातचीत करने के फैसले का स्वागत करता है. 

भारत , चीन और संयुक्त अरब अमीरात रविवार को एक प्रक्रियात्मक मतदान पर 193-सदस्यीय महासभा में हिस्सा नहीं लेने वाले तीन देश थे और यह आपात बैठक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर बुलाई गई थी. 

रूस के नकारात्मक वोट में वीटो की शक्ति नहीं थी और यह 15 सदस्यीय परिषद में यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के 11 सदस्यों के समर्थन से पारित हुआ. यह पहली बार है जब परिषद ने 40 वर्षों में एक आपातकालीन बैठक बुलाई है. इससे पहले सीरियाई गोलान हाइट्स पर इजरायल के कब्जे पर एक प्रस्ताव को 1982 में अमेरिका ने वीटो किया था.

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महासभा सोमवार को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने वाले एक प्रस्ताव पर विचार करने के लिए आपातकालीन बैठक हो रही है. इसमें रूस से अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की गई है. इससे पहले भारत ने जनवरी में एक प्रक्रियात्मक मतदान और शुक्रवार को प्रस्ताव पर भाग नहीं लिया था.

भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि "यह खेदजनक है कि इस मामले पर परिषद की आखिरी बैठक के बाद से यूक्रेन में मौजूद और खराब हो गई है."

उन्होंने कहा, "हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने और दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने के अपने आह्वान को दोहराते हैं. कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है."

यह भी पढ़ें: यूक्रेन में फंसे भारतीयों के साथ हुई मारपीट, राहुल गांधी ने वीडियो शेयर कर की ये मांग

यूक्रेन और रूस की बेलारूस सीमा पर वार्ता करने की घोषणा का स्वागत करते हुए, तिरुमूर्ति ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बात करते हुए कूटनीति के इस प्रयास की 'जोरदार वकालत' की थी.

अमेरिका ने सुझाव दिया था कि भारत और अन्य देशों का रूस पर काफी अच्छा प्रभाव है और वह रूस को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए मना सकते हैं. रूस के साथ भारत के "विशिष्ट" संबंधों को स्वीकार करते हुए, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका चाहता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को बनाए रखने के लिए रूस के साथ अपने संबंधों का उपयोग करे.

तिरुमूर्ति ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की दुर्दशा को उठाया, जहां रूसी सैनिक यूक्रेन के प्रतिरोध का सामना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा "सीमा पर जटिल और अनिश्चित स्थिति से हमारे निकासी प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. लोगों की निर्बाध और सामान्य आवाजाही बनाए रखना महत्वपूर्ण है. यह एक तत्काल मानवीय आवश्यकता है जिस पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए."

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