ईरान परमाणु हथियार बनाने से कुछ ही कदम दूर; टांग खींचने में लगे सुपर पाॅवर देश
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ईरान परमाणु हथियार बनाने से कुछ ही कदम दूर; टांग खींचने में लगे सुपर पाॅवर देश

दुनिया के परमाणु संपन्न सुपर पाॅवर देश (Atomic Power countries) ईरान (Iran) के साथ परमाणु समझौता ( Atomic Deal) फिर से शुरू कर रहे हैं. वैश्विक ताकतें 2015 की परमाणु वार्ता  (Atomic Talks) को बहाल करने के लिए वियना में जमा हो गए हैं. यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि ईरानी इनकी जाल में फंसता है या फिर इनके सामने घुटने टेक देता है. 

 

इब्राहिम रईसी
इब्राहिम रईसी

वियनाः वैश्विक ताकतों के साथ ईरान के 2015 के परमाणु समझौते (Atomic Deal) पर वियना में वार्ता फिर से बहाल हो गई है. ईरान की समाचार एजेंसी ‘इरना’ के मुताबिक पांच महीने के गतिरोध के बाद वार्ता सोमवार को शुरू हो गई. परमाणु समझौते को औपचारिक रूप से ‘‘संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना’’ के रूप में जाना जाता है और इसके हस्ताक्षरकर्ताओं में ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं. आलीशान होटल ‘पालिस कोबर्ग’ में यह वार्ता होगी, जहां छह साल पहले समझौते पर इन देशों ने हस्ताक्षर किए थे. 
वार्ता ऐसे वक्त हो रही है, जब कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के कारण ऑस्ट्रिया में लॉकडाउन लागू है. वैश्विक ताकतों के साथ ईरान की 2015 की परमाणु वार्ता को फिर से बहाल करने के लिए वियना में वार्ताकार एकत्र हो गए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अपने देश को अलग कर लिया था 
ईरान में कट्टरपंथी सरकार के गठन के पांच महीने बाद होने वाली इस वार्ता में प्रगति की बहुत कम संभावना है. ईरान को समझौते के पालन के लिए राजी करने और अमेरिका के फिर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करने के मकसद से वार्ता का अंतिम दौर जून में आयोजित किया गया था. तब से वार्ता प्रक्रिया की राह और मुश्किल हो गई है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अपने देश को बाहर करने की घोषणा की थी. इस वजह से अमेरिका इस वार्ता से अलग था.

जो बाइडन अमेरिका को फिर से वार्ता में शामिल कर रहे हैं
राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका को फिर से वार्ता में शामिल करने का संकेत दिया और कहा कि अमेरिका समझौते से जुड़ना चाहता है. इसके बाद से अमेरिका, ईरान के लिए अमेरिकी प्रशासन के विशेष दूत रॉबर्ट माली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वार्ता में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा ले रहा है. समझौते के तहत आर्थिक पाबंदियों में ढील दिए जाने के बदले ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन की सीमा को सीमित किया था. समझौते के पटरी से उतरने के बाद ईरान अब यूरेनियम का 60 प्रतिशत तक संवर्द्धन कर रहा है.

2003 तक ईरान के पास एक संगठित परमाणु हथियार कार्यक्रम था
ईरान परमाणु हथियार बनाने के लिए 90 प्रतिशत संवर्द्धन की सीमा से वह कुछ ही पीछे है. ईरान उन्नत सेंट्रीफ्यूज का भी उपयोग करता है जो समझौते द्वारा वर्जित है और उसका यूरेनियम भंडार अब समझौते की सीमा से कहीं ज्यादा है. ईरान हमेशा कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है. हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों का कहना है कि 2003 तक ईरान के पास एक संगठित परमाणु हथियार कार्यक्रम था. निरस्रीकरण के विशेषज्ञों को आशंका है कि ईरान आगे भी परमाणु कार्यक्रम को लेकर सीमाओं का उल्लंघन कर सकता है.

मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो पाई: आईएईए
संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षक भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पूरी तरह निगरानी नहीं कर पाए क्योंकि तेहरान ने उन्हें सीमित पहुंच दी. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल ग्रोस्सी की पिछले सप्ताह ईरान की यात्रा के दौरान मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो पाई. रूस के शीर्ष प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने कहा कि उन्होंने इतवार को ईरान और चीन के अधिकारियों के साथ अनौपचारिक रूप से ‘‘उपयोगी’’ वार्ता की. वार्ता की सदारत कर रहे यूरोपीय संघ (ईयू) के अधिकारी एनरिक मोरा ने भी ट्विटर पर ‘‘गहन तैयारी कार्य जारी’’ होने के बारे में लिखा.

पहली बार वार्ता में शामिल हो रहा है राष्ट्रपति रईसी का प्रतिनिधि 
ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी द्वारा नियुक्त एक प्रतिनिधिमंडल पहली बार वार्ता में शामिल हो रहा है. ईरान ने कई मांगें रखी हैं, जिसमें अमेरिका द्वारा सद्भावना संकेत के रूप में 10 अरब डॉलर की संपत्ति पर रोक हटाने का आह्वान भी शामिल हैं. ईरान के परमाणु वार्ताकार अली बगरी ने इतवार को ईरानी सरकारी टेलीविजन को बताया कि इस्लामिक गणराज्य ने ‘‘गंभीर इच्छाशक्ति और मजबूत तैयारी के साथ वार्ता में प्रवेश किया है.’’ हालांकि, उन्होंने आगाह किया, ‘‘हम अभी इन वार्ताओं की समय सीमा का अनुमान नहीं लगा सकते हैं.’’ 

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