Russia-Ukraine War: नो-फ्लाइं जोन का मतलब वह इलाका जिसके ऊपर से किसी भी तरह का कोई भी हवाई जहाज, लड़ाकू विमान, हैलीकॉप्टर के उड़ाने पर पाबंदी हो.
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Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन युद्ध का आज 10वां दिन है लेकिन रूसी फौज हमला रोकने का नाम नहीं ले रही है. यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे के लिए रूसी फौज की जानिब से लगातार यूक्रेन के अलग-अलग शहरों पर हमले जारी हैं. इस बीच यूक्रेन को नो फ्लाइंग जोन ऐलान करने से मना करने पर राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की NATO पर काफी भड़के हुए हैं. उनका कहना है कि पश्चिमी सैन्य गठबंधन ने ऐसा न करके अब रूसी हमलों को और बढ़ावा दे दिया है. ऐसे में कुछ लोगों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर यह नो-फ्लाइं जोन होता क्या है और यह लागू होने के बाद क्या बदलाव आते हैं? तो हम आपको नोफ्लाइं जोन के बारे सब कुछ बताने जा रहे हैं.
क्या होता है नो फ्लाइंग जोन?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि नो-फ्लाइं जोन क्या होता है. नो-फ्लाइं जोन का मतलब वह इलाका जिसके ऊपर से किसी भी तरह का कोई भी हवाई जहाज, लड़ाकू विमान, हैलीकॉप्टर के उड़ाने पर पाबंदी हो. अक्सर देखा गया है कि सुरक्षा के मद्देनज़र संवेदनशील इलाकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसका ऐलान किया जाता है. इसके अलावा भी किसी खास मौके पर किसी निश्चित इलाके को नो-फ्लाईंग जोन घोषित कर दिया जाता है.
यूक्रेन को नो-फ्लाइं जोन क्यों नहीं घोषित करना चाहता NATO?
अब हम आपको बताते हैं कि क्यों NATO इसे यूक्रेन में लागू करने से मना कर रहा है? तो NATO का मानना है कि अगर अमेरिका समेत NATO (The North Atlantic Treaty Organization) के सहयोगी यूक्रेन को नो-फ्लाईं जोन का ऐलान करता है तो पहले से जो तनाव और अतिक्रमण जारी है वह और बढ़ सकता है और माहौल बिगड़ सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि जब अमेरिकी फौज रूसी सैनिकों से लड़ रही होगी तो यह आधिकारिक तौर पर जंग की शुरुआत हो सकती है. बताया यह भी जा रहा है कि अमेरिका रूस के साथ जंग मोल नहीं लेना चाहता.
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने जाहिर की नाराजगी
वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि नो-फ्लाई ज़ोन बनाने से मना करके आज सैन्य गठबंधन यानी NATO ने यूक्रेनी शहरों और गांवों पर रूसी बमबारी के लिए रास्ता खोल दिया है.
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क्या है NATO?
नाटो यानि North Atlantic Treaty Organization (NATO) दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है, जिसे 1949 में बनाया गया था. जो राजनीतिक और सैनिक संसाधन के माध्यम से अपने सदस्य देशों को दूसरे देशों से सुरक्षा की गारंटी देता है. NATO का असल मकसद है कि अगर कोई बाहरी देश किसी नाटो सदस्य देश पर हमला करे तो बाकी सदस्य देश उस देश की जो हमला झेल रहा है उसकी सैन्य मदद करें. इसका सबसे बड़ा सदस्य अमेरिका है जबकी सबसे छोटा सदस्य आइसलैंड है. जिसमें 200 सैनिक शामिल हैं. साल 1949 में जब नाटो बना था तो इसके 12 संस्थापक सदस्य थे. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबुर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल शामिल थे.
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