चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन की लोकतांत्रिक देशों को एकत्र करने की पहल पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र एक समान प्रारूप के साथ ‘‘थोक के भाव निर्मित वस्तु’’ नहीं है.
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बीजिंगः चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन की लोकतांत्रिक देशों को एकत्र करने की पहल पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र एक समान प्रारूप के साथ ‘‘थोक के भाव निर्मित वस्तु’’ नहीं है. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) अगले महीने लोकतंत्रों का एक सम्मेलन आयोजित करने की बाइडन की योजना की हाल के महीनों में आलोचना करते हुए कहती आ रही है कि लोकतंत्र पर अमेरिका का ‘पेटेंट’ (एकाधिकार) नहीं है.
सीपीसी की निरंकुश कार्य शैली को लेकर आलोचना की जाती है
सीपीसी ने 1949 में चीनी गणराज्य की स्थापना के बाद से राजनीतिक शक्ति पर आभासी तौर पर एकाधिकार कायम कर लिया है. सीपीसी नीत पार्टी प्रणाली की, उसकी गोपनीय और निरंकुश कार्य शैली को लेकर आलोचना की जाती है. वह खुद को एक लोकतांत्रिक पार्टी के तौर पर भी प्रायोजित करते हुए कह रही है कि उसने विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश में निरंतर जन कल्याण किया है और आजीविका के मुद्दे का समाधान किया है.
सभ्यताएं संपन्न और विविध हैं, और लोकतंत्र भी ऐसा ही है
सीपीसी की लोकतांत्रिक पहचान को संभवतः प्रायोजित करने की एक कोशिश के तहत शी ने एक दुर्लभ कदम उठाते हुए पांच नवंबर को यहां स्थानीय लोगों की प्रतिनिधि सभा में उप नेताओं को चुनने के लिए एक मतदान केंद्र पर वोट डाला था. अपने समकक्ष के साथ बहु प्रतीक्षित ऑनलाइन सम्मेलन के दौरान मंगलवार को शी ने रेखांकित किया कि सभ्यताएं संपन्न और विविध हैं, और लोकतंत्र भी ऐसा ही है. सीपीसी के महासचिव शी ने बाइडन से कहा, ‘‘लोकतंत्र एक समान प्रारूप के साथ थोक के भाव निर्मित वस्तु नहीं है, ना ही यह विश्व भर के देशों के लिए एक विशेष व्यवस्था है.’’
कोई देश लोकतांत्रिक है या नहीं, इसका फैसला उसके लोगों पर छोड़ देना चाहिए
शी ने कहा, ‘‘कोई देश लोकतांत्रिक है या नहीं, इसका फैसला करने का काम उसके लोगों पर छोड़ देना चाहिए. खुद के लोकतंत्र से अलग स्वरूप के लोकतंत्रों को खारिज करना अपने आप में अलोकतांत्रिक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन परस्पर सम्मान के आधार पर मानवाधिकार के मुद्दों पर वार्ता करने के लिए तैयार है, लेकिन हम अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए मानवाधिकारों (के मुद्दे) का इस्तेमाल किये जाने का विरोध करते हैं.’’ उन्होंने संभवतरू शिंजियांग में उयगुर मुसलमानों के नरसंहार के अमेरिका के आरोपों और हांगकांग और तिब्बत में मानवाधिकार हनन के आरोपों की ओर इशारा करते हुए यह कहा.
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