Yes Bank हिस्सेदारी डील के लिए RBI नहीं है राजी, रिपोर्ट आते ही शेयर गिरकर ₹23 पर पहुंचा
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Yes Bank हिस्सेदारी डील के लिए RBI नहीं है राजी, रिपोर्ट आते ही शेयर गिरकर ₹23 पर पहुंचा

यस बैंक के हिस्सेदारी बेचने का मामला अटक गया है. सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक के यस बैंक में 51 फीसदी की हिस्सेदारी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मंजूरी नहीं मिल रही है.

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Yes Bank Share: यस बैंक के हिस्सेदारी बेचने का मामला अटक गया है. सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक के यस बैंक में 51 फीसदी की हिस्सेदारी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मंजूरी नहीं मिल रही है. भारतीय रिजर्व बैंक इस पक्ष में नहीं है कि यस बैंक की 51 फीसदी की हिस्सेदारी यानी की मेजॉरिटी शेयर विदेशी हाथों में चला जाए. आरबीआई ने इस डील पर रोक लगा दी है. इस रोक की खबर आते हैं यस बैंक लिमिटेड के शेयरों में गिरावट आने लगी, शेयर गिरकर 23 रुपये तक पहुंच गए. 

आरबीआई को मंजूर नहीं 

बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने एसबीआई के यस बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं आरबीआई ने साफ कर दिया है कि वो किसी विदेशी निवेशकों के हाथों में यस बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी के पक्ष में वो नहीं है.  इसके साथ ही यस बैंक में हिस्सेदारी खरीद की प्रक्रिया बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर बोलीदाताओं के जोर देने की वजह से खतरे में पड़ सकती है.

एक जानकार सूत्र ने बृहस्पतिवार को यह आशंका जताई. यह पूछे जाने पर कि क्या चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह सौदा पूरा हो जाएगा, सूत्र ने कहा कि सौदा दुविधा में फंसता दिख रहा है. घटनाक्रम से परिचित सूत्र ने कहा कि सभी बोलीदाताओं की तरफ से बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने पर जोर दिए जाने की वजह से किसी भी सौदे पर बातचीत आगे बढ़ती नहीं दिख रही है. सूत्र के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस बात से असहज है कि एक विदेशी संस्था के पास यस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो. 

किस-किस ने लगाई बोली 

जापान की एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी के रूप में दो बोलीदाता मैदान में हैं. यस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने वाले दोनों दावेदार सीधे आरबीआई से बात कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक इसका स्वामित्व नियंत्रण देने के लिए तैयार नहीं है. मौजूदा नियमों के मुताबिक, किसी भी बैंक में किसी इकाई के पास अधिकतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति है और इस सीमा से अधिक हिस्सेदारी वाले मामलों में इसे कम करने के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित की गई है. सूत्र ने कहा कि इस सौदे से संबंधित ‘उपयुक्त और उचित’ पहलुओं पर कोई प्रगति नहीं हुई है. यस बैंक को वित्तीय संकट में फंसने के बाद वर्ष 2020 में एक विशेष सौदे के तहत बाहर निकाला गया था. इसके तहत एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के एक समूह ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी.  

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