Kawasi Lakhma: 6 बार के विधायक, अब संसद के लिए दांव; जानें कितना है कवासी लखमा का सोशल मीडिया स्कोर?
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Kawasi Lakhma: 6 बार के विधायक, अब संसद के लिए दांव; जानें कितना है कवासी लखमा का सोशल मीडिया स्कोर?

सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से लगातार छह बार विधायक चुने गए कवासी लखमा को कांग्रेस ने इस बाद बस्तर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. कवासी लखमा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोकसभा चुनाव के बीच उनका सोशल मीडिया स्कोर कितना है.

Kawasi Lakhma: 6 बार के विधायक, अब संसद के लिए दांव; जानें कितना है कवासी लखमा का सोशल मीडिया स्कोर?

Kawasi Lakhma Social Media Score: छह बार के विधायक और भूपेश बघेल कैबिनेट में मंत्री रहे कवासी लखमा को इस बार कांग्रेस पार्टी ने बस्तर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. चुनाव प्रचार के दौरान बस्तर के कई इलाकों में पैदल घूम-घूमकर चुनाव प्रचार का उनका वीडियो सामने आया था और सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हुई थी. 'ज़ी न्यूज़' ने चुनाव मैदान में उतरे कई नेताओं के लीडर सोशल स्कोर (LSS) निकाले हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि कवासी लखमा का सोशल मीडिया स्कोर कितना है. कवासी लखमा के फेसबुक पर सबसे ज्यादा फॉलोवर हैं और उन्हें 70 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. इसके अलावा ट्विटर पर भी उनके करीब 5 हजार फॉलोवर हैं.

पहली बार 1998 में चुने गए थे विधायक

कवासी लखमा कांग्रेस के सीनियर नेता हैं और छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट से लगातार छह बार विधायक चुने जा चुके हैं. कवासी लखमा पहली बार साल 1998 में पहली चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भी उनकी जीत का सिलसिला जारी रहा. कवासी लखमा पिछले 26 सालों से विधानसभा के सदस्य हैं.

कवासी लखमा कभी नहीं गए स्कूल

कवासी लखमा का जन्म एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था और वो कभी स्कूल नहीं गए. बचपन में औपचारिक शिक्षा से वंचित रहे कवासी लखमा पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे. चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने अपनी शिक्षा की कोई जानकारी नहीं दी है और खुद को साक्षर बताया है.  कवासी लखमा अक्सर अपने बयानों और अंदाजों के कारण सुर्खियों में रहते हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जब कवासी लखमा को भूपेश बघेल कैबिनेट में जगह मिली और वो शपथ लेने पहुंचे तो उनके हाथ में शपथपत्र था, लेकिन उन्होंने उसे देखा नहीं था. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जो कहा था, उन्होंने उसे ही दोहराया था.

2013 में नक्सली हमले में बची थी जान

साल 2013 में छत्तीसगढ़ की सुकमा जिले की दरभा घाटी में नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में नक्सलियों ने कांग्रेस के कई नेताओं समेत 30 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. 25 मई 2013 के दिन हुए इस हमले में कांग्रेस नेता कवासी लखमा की जान बच गई थी.

डिस्क्लेमर: लीडर्स सोशल स्कोर (LSS) मशीन लर्निंग पर आधारित है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े 55 से ज्यादा पैरामीटर्स के आधार पर इसे निकाला गया है.

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