Satyapal Malik News: सत्यपाल मलिक के ठिकानों पर सीबीआई रेड के बाद किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2008 में पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के साथ हुई थी.
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What is Kiru Hydel Project: सीबीआई ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) के घर गांव और ऑफिस समेत कुल 30 जगह एक साथ रेड की. जांच एजेंसी की तरफ से यह कार्रवाई कीरू हाइड्रो प्रोजेक्ट के टेंडर में कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामले में की गई. सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मामला उठाया गया था. उन्होंने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ की रिश्वत ऑफर की गई थी. सीबीआई ने इस मामले में जून 2022 में 16 जगहों पर तलाशी ली. मई 2023 में भी 12 स्थानों पर तलाशी ली गई थी. इस मामले में सीबीआई मलिक से पहले भी पूछताछ कर चुकी है. लेकिन क्या आपको पता है कि किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट क्या है? आइये जानते हैं विस्तार से-
क्या है किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट
'किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट' जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर एक पनबिजली परियोजना है. यह प्रोजेक्ट मौजूदा किरथई-2 और कवार बिजली बनाने वाली परियोजनाओं के बीच बन रहा है. इसकी अनुमानित लागत करीब 4,287 करोड़ रुपये है. प्रोजेक्ट को कमर्शिल रूप से शुरू करने की समयसीमा जुलाई 2025 है. पुराने बिजली प्रोजेक्ट के पास बन रही इस परियोजना का मकसद इलाके में ज्यादा बिजली पहुंचाना है. यहां 624 मेगावाट (4x156 मेगावाट) बिजली उत्पादन किया जाएगा. इसके जरिये राज्य के दूर-दराज के इलाकों में भी बिजली पहुंचाई जा सकेगी.
चिनाब नदी के तल से 123 मीटर ऊंचा बांध
परियोजना के शुरू होने से राज्य में बिजली की समस्या का समाधान होने के साथ ही रोजगार के अवसर भी बनेंगे. इसके अलावा इससे राज्य के आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी. किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट चिनाब नदी के तल से 123 मीटर ऊंचा बांध होगा. यहां पर 41.5 मीट्रिक मिलियन मीटर पानी इकट्ठा किया जा सकेगा. अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए परियोजना में 700 मीटर लंबी, घोड़े की नाल के आकार की सुरंग होगी. नदी के बांयी तरफ बिजलीघर में चार टरबाइन होंगी, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 156 मेगावाट होगी. इससे कुल 624 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा.
किरू हाइडिल प्रोजेक्ट को बनाने वाली कंपनी
इस प्रोजेक्ट को बनाने वाली कंपनी का नाम चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) है. इस कंपनी में तीन सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी है. तीन में से दो नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) और जम्मू एंड कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (JKSPDC) ने 49-49 प्रतिशत की हिस्सेदारी की है. वहीं, बाकी की दो परसेंट की हिस्सेदारी में पावर ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (PTC) की है.
2008 में हुई शुरुआत
किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए 2008 में पर्यावरण विभाग से मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद इसे कुछ बदलावों के साथ 2015 में दोबारा से अनुमति मिली. साल 2016 में पर्यावरण विभाग ने पूरी तरह से मंजूरी दी. 2019 में सरकार की तरफ से भी इस पर सहमति जताई गई. उसी साल फरवरी में इसकी नींव रखी गई. शुरू में इसे साल 2023 तक पूरा कने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन अभी इसका काम पूरा नहीं हो पाया है और अब इसके 2025 तक पूरे होने की उम्मीद है.
सिविल वर्क किस कंपनी के पास
किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में सुरंग, बांध, शाफ्ट, छोटे बांध, पानी निकालने वाली सुरंग और बिजलीघर बनाने का काम 2019 में पटेल इंजीनियरिंग नामक कंपनी को दिया गया था. इस काम की पूरी लागत 2,200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की है. यानी बांध को तैयार करने की जिम्मेदारी जिस कंपनी के पास है, उसे इसके लिए 2,200 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेंगे. इसके बाद फरवरी 2020 में बिजली बनाने वाली मशीनों और इंस्ट्रूमेंट का ठेका पीईएस इंजीनियर्स को दिया गया. इसके अलावा 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का ठेका एंड्रट्ज हाइड्रो कंपनी को दिया गया. इन कंपनियों को टरबाइन, जनरेटर आदि को बनाने, लाने, लगाने, जांचने और चालू करने की जिम्मेदारी दी गई है.
मलिक ने क्या कहा था?
सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के पद पर अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक रहे थे. उन्होंने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूर करने के लिए 300 करोड़ रुपये रिश्वत देने की पेशकश हुई थी. चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट के कई पूर्व अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने शुरुआती जांच में पाया था कि टेंडर में गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया.