Jamaat-e-Islami Ban: हिजबुल को माना जाता था जिसकी 'तलवार', उसको सरकार ने क्‍यों किया बैन?
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Jamaat-e-Islami Ban: हिजबुल को माना जाता था जिसकी 'तलवार', उसको सरकार ने क्‍यों किया बैन?

JeI Jammu Kashmir History: जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने दुनिया के सामने तो खुद सामाजिक-राजनीतिक और धार्मिक संगठन दिखाया, लेकिन परदे के पीछे आतंकियों से हाथ मिलाया. आइए इसका इतिहास जानते हैं.

Jamaat-e-Islami Ban: हिजबुल को माना जाता था जिसकी 'तलवार', उसको सरकार ने क्‍यों किया बैन?

Jamaat-e-Islami Jammu and Kashmir Ban: जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI, Jammu Kashmir) पर 5 साल का बैन भारत सरकार और बढ़ा चुकी है. 27 फरवरी 2024 को जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के बैन से जुड़ा एक नोटिफिकेशन गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर क्या है? जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने ऐसे क्या कारनामे किए हैं कि उसको बैन कर दिया गया. आइए जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर का कच्चा चिट्ठा जानते हैं.

जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर क्या है?

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी, जम्मू-कश्मीर ने अपने आपको हमेशा से एक सामाजिक-राजनीतिक और धार्मिक संगठन के तौर पर लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की थी. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर लंबे वक्त तक कश्मीर में संघर्ष के इर्द-गिर्द रहा. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर अलगाववादी विचारधारा की वकालत करता है. इसके अलावा उसपर भारत की संप्रभुता को चुनौती देना का भी आरोप है.

शरिया की वकालत करने वाला जमात-ए-इस्लामी

जान लें कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर मौलाना मौदुदी, सैयद कुतुब और हसन अल बन्ना के बताए रास्ते पर चलने का दावा करता है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर हमेशा से देश के संविधान की जगह शरिया कानून की वकालत करता रहा है. इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया.

हिजबुल था जमात-ए-इस्लामी की 'तलवार'!

गौरतलब है कि 1990 के दशक में आतंकी संगठन हिजबुल को जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर की एक शाखा माना जाता था. कहा जाता था कि हिजबुल जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर की तलवार है. 1990 में हिजबुल के तत्कालीन चीफ कमांडर अहसान डार ने आतंकवादी संगठन को 'जमात की तलवार' कहा था.

जमात-ए-इस्लामी के हिजबुल में कनेक्शन

हालांकि जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 1997 में सार्वजनिक तौर पर हिजबुल से दूरी बनाना शुरू कर दिया था. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को ये इनपुट लगातार मिलते रहे कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर बाद में भी खुफिया तरीके से आतंकवादी संगठन हिजबुल की मदद करता रहा. कहा जाता है कि 1991 में जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने हिजबुल पर अच्छा खासा कंट्रोल कर लिया था. 1991 में जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर का श्रीनगर चीफ हिजबुल का सुप्रीम कमांडर बन गया था.

जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर बैन क्यों?

भारत सरकार ने UAPA 1967 की धारा 3(1) के तहत 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर' को अगले 5 साल के लिए बैन किया है. बैन करने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट करके लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर बैन पांच साल के लिए बढ़ा दिया है. ये पाया गया कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ अपनी गतिविधियों जारी रखा हुआ था. जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर को पहली बार 28 फरवरी 2019 को बैन किया था. देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले हर किसी के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे.

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