Mahagathbandhan: कांग्रेस को कटिहार सीट दे सकते हैं RJD सुप्रीमो लालू यादव लेकिन पूर्णिया पर समझौता असंभव! जानें कारण
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Mahagathbandhan: कांग्रेस को कटिहार सीट दे सकते हैं RJD सुप्रीमो लालू यादव लेकिन पूर्णिया पर समझौता असंभव! जानें कारण

Bihar Congress News: सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव कांग्रेस को कटिहार सीट देने पर राजी हो गए हैं, लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट पर किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं. अब सवाल ये है कि राजद आखिर क्यों कांग्रेस को पूर्णिया लोकसभा सीट नहीं देना चाहती है? 

पप्पू यादव का क्या होगा?

Bihar Congress News: बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे का समीकरण अब सुलझता हुआ दिख रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राजद अध्यक्ष लालू यादव ने कांग्रेस को 9 सीटों का फाइनल ऑफर दिया है और कांग्रेस ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. लालू यादव के फॉर्मूले के मुताबिक, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल 26, कांग्रेस 9 और वामपंथी पार्टियों को 5 सीटें दी गई है, इसमें से तीन सीटों पर सीपीआई-एमएल चुनाव लड़ेगी. सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव कांग्रेस को कटिहार सीट देने पर राजी हो गए हैं, लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट पर किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं हैं. अब सवाल ये है कि राजद आखिर क्यों कांग्रेस को पूर्णिया लोकसभा सीट नहीं देना चाहती है? इसके जवाब में कई कारण समझ में आ रहे हैं. 

  1. पूर्णिया लोकसभा सीट सीमांचल के अंतर्गत आती है और इस पूरे इलाके में  MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण काफी महत्व रखता है. लालू यादव की पार्टी राजद का कोर वोटर भी मुस्लिम-यादव ही माना जाता है. वहीं लालू यादव की पाठशाला से निकले पप्पू यादव भी मुस्लिम-यादव की राजनीति करते हैं. अब लालू कभी नहीं चाहेंगे कि कोई नेता उनकी पार्टी के कोर वोटबैंक में सेंधमारी करे. भले ही वह नेता महागठबंधन का साथी ही क्यों ना हो.
  2. पूर्णिया लोकसभा सीट में MY फैक्टर हावी रहता है, लेकिन एससी-एसटी वोटर भी निर्णाय की भूमिका में रहता है. इसके बाद यहां ब्राह्मण और राजपूत वोटर हैं. लालू यादव को लगता है कि बीमा भारती को उतारने से उसके बेस वोटर मुस्लिम-यादव के साथ ही दलित मतदाताओं का साथ भी पार्टी को मिल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो उन्हें लोकसभा चुनाव के अलावा 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित कामयाबी मिल सकती है. जिससे उन्हें फिर से सत्ता हासिल हो सकती है. 
  3. हो सकता है कि पप्पू यादव की तरह बीमा भारती भी शर्तों के साथ राजद में आई हों. उन्होंने राजद ज्वाइन करने से पहले ही अपनी महत्वकांक्षाएं जाहिर कर दी हो. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि वह टिकट के आश्वासन पर ही लालू यादव की पार्टी में आई हों. ऐसे में अगर उनको टिकट नहीं दी गई तो वह बैकफायर कर सकती हैं. 
  4. लालू यादव और पप्पू यादव के बीच मतभेद का किस्सा जगजाहिर है. पप्पू यादव कभी लालू यादव के सिपहसलार हुआ करते थे, लेकिन राजनीतिक विरासत को लेकर दोनों के रास्ते अलग हो गए थे. पप्पू यादव के मुताबिक, जब वह लालू यादव से मिलने गए थे तो उनकी तरफ से राजद में आने का निमंत्रण दिया गया था. लेकिन पप्पू ने उनका न्यौता ठुकराकर अगले ही दिन अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था. पप्पू यादव के इस कदम से लालू नाराज बताए जा रहे हैं.

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