Kishanganj News: किशनगंज में मनरेगा योजना में धांधली, नियमों को ताक पर रख कर बाहरी मजदूरों से कराया जा रहा काम
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Kishanganj News: किशनगंज में मनरेगा योजना में धांधली, नियमों को ताक पर रख कर बाहरी मजदूरों से कराया जा रहा काम

Kishanganj News: बिहार के किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत नजरपुर पंचायत के भोपाल गांव महादलित टोला में महादलित मनरेगा मजदूरों के हक के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है.

किशनगंज में मनरेगा योजना में धांधली

किशनगंज: Kishanganj News: बिहार के किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत नजरपुर पंचायत के भोपाल गांव महादलित टोला में महादलित मनरेगा मजदूरों के हक के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है. मनरेगा योजना से गांव में बांध निर्माण के दौरान स्थानीय मजदूरों को दरकिनार कर अन्य पंचायत के मजदूरों से काम करवाया जा रहा है. इतना ही नहीं इस योजना में बाल मजदूरों से भी मजदूरी करवाई जा रही है. 

ये है किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत नजरपुर पंचायत के भोपला गांव महादलित टोला. यहां मनरेगा योजना के तहत गांव को नदी कटाव से बचाने के लिए बांध निर्माण का कार्य चल रहा है. सीमेंट की बोरी में बालू भड़कर कटाव को रोकने का कार्य चल रहा है. लेकिन इस कार्य मे जनप्रतिनिधि और विभाग के अधिकारी आपस में मिलकर पलीता लगा रहे हैं. स्थानीय मनरेगा मजदूरों के जॉब कार्ड पर बाहरी ठेके पर मजदूरों को लगाकर सरकार की आंखों में धूल झोंककर स्थानीय मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. जो कि योजना की मंशा के विपरीत है.

स्थानीय मनरेगा मजदूरों ने बताया कि सुबह पहले तो उन्हें रोजगार दिया गया, मजदूरी करने की तस्वीरे लेकर विभाग के पोर्टल पर अपलोड कर दी गयी और इसके बाद में पंचायत रोजगार सेवक और जनप्रतिनिधि बहाना बनाकर उन जॉब कार्ड धारक मजदूरों को हटा दिया गया. मजदूरों ने खुलासा किया कि विभाग के कागज कलम में मजदूरी मैं कर रहा हूं. लेकिन धरातल में कोई और मजदूरों से काम लिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मेरे बैंक खाते में मजदूरी का पैसा भी आ रहा है. इसके बाद में मात्र 200 रुपये देकर सारे पैसे जनप्रतिनिधि ले लेते है. यहां तक कि मेरा जॉब कार्ड भी पंचायत रोजगार सेवक अपने पास ही रखते है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बांध निर्माण के नाम पर फर्जी तरीके से जॉब कार्ड खोल दिया जाता है. जिन मजदूरों के नाम रजिस्टर में अंकित होते है. उनसे काम नहीं लेकर बाहरी मजदूरों से ठेका पर कार्य कराया जाता है. राशि निकासी के वक्त विभागीय अधिकारियों के मिली भगत से राशि का हेरफेर कर दिया जाता है. स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से जांच का मांग किया है.

मजदूरों के नाम पर मनरेगा योजना में धांधली इतनी की बाल मजदूरों से भी मजदूरी करवाई जा रही है. मौके पर काम कर रहे मजदूरों से पूछने पर उन्होंने स्वीकार किया कि वे लोग अन्य पंचायत के है. उनके पास जॉब कार्ड नहीं है, मंजूर नामक ठेकेदार उन लोगों को काम में लगाया है. मजदूरी करने के एवज में प्रत्येक दिन चार सौ रुपये मिलता है.

सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ विभाग की लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. जब मामले को लेकर उप विकास आयुक्त स्पर्श गुप्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि मनरेगा योजना में बाहरी मजदूरों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने मामले की जांच का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे. उन पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना का उद्देश्य मजदूरों का अन्य प्रदेशों में पलायन रोकने के साथ-साथ उसे अपने गांव में ही रोजगार देने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी थी. इस योजना के तहत मजदूरों को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी है. लेकिन पंचायत में मनरेगा योजना पर लूट मची हुई है. कार्य में भारी अनियमितता बढ़ती जा रही है. बाहरी मजदूर से काम कराया जा रहा है. जिससे स्थानीय मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जबकि मनरेगा का पैसा सीधे जॉब कार्ड धारकों के खाते में जाता है, तो फिर बाहरी मजदूर से किस प्रकार मजदूरी करवाया जा रहा है, जो जांच का विषय है.

इनपुट- अमित कुमार सिंह

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