Bihar News: पटना, भागलपुर, बेतिया और कटिहार के स्कूलों में कितने बच्चों के नाम कटे, एक क्लिक में जानिए
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Bihar News: पटना, भागलपुर, बेतिया और कटिहार के स्कूलों में कितने बच्चों के नाम कटे, एक क्लिक में जानिए

Bihar News: टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि बिहार सरकार जो बच्चों का नाम काट रही है वह पूरी तरीके से असंवैधानिक है, कहीं से भी शिक्षा के अधिकार कानून में यह उल्लेख नहीं है.

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Bihar News: बिहार के सरकारी स्कूलों की क्या हालत है कि किसी से छिपी नहीं है. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर है. क्लास की स्थिति बहुत खराब होती दिखाई देती है. इन्हीं सबके बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) आए दिन स्कूलों का दौरा करते रहते हैं. साथ ही उन्होंने एक निर्देश जारी किया है. हम इस ऑर्टिकल में पटना, भागलपुर, बेतिया और कैमूर से लेकर कई स्कूलों की जमीनी हकीकत को जानेंगे. साथ ही केके पाठक के निर्देश को भी और आखिर क्यों बिहार के सरकारी स्कूलों से 20 लाख छात्रों के नाम कटे गए.

बिहार के सरकारी स्कूलों से 20 लाख छात्रों के नाम कटे
बिहार के शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने अनुपस्थित रहने के कारण 20 लाख से अधिक छात्रों के नाम सरकारी स्कूलों से काटे दिया है. बिहार में जिन बच्चों के सरकारी स्कूलों से नाम काटे गए हैं उनमें 2.66 लाख छात्र ऐसे हैं जिन्हें 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना था. एक अधिकारी ने कहा कि शिक्षा विभाग ने एक सितंबर, 2023 से उपस्थिति में सुधार के लिए अभियान शुरू करने के बाद अब तक (19 अक्टूबर, 2023 तक) सरकारी स्कूलों से 20,60,340 छात्रों के नाम काट दिए हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) द्वारा जारी निर्देश के बाद यह अभियान शुरू किया गया है.

पाठक ने दो सितंबर, 2023 को सभी जिलाधिकारियों को लिखे एक पत्र में लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को निष्कासित करने और निजी स्कूलों या कोटा जैसे दूर-दराज के स्थानों में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों की ‘ट्रैकिंग’ करने जैसे कठोर कदम उठाने का आदेश दिया था जबकि बाकी उपस्थित रहने वाले बच्चे पाठ्यपुस्तकों और पोशाक के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना का लाभ उठा सकते हैं.

बेतिया में स्कूल से काटा गया एक लाख 12 हजार छात्र-छात्राओं का नाम
बेतिया जिला में 9th से 12 तक के छात्र छात्राओं का स्कूलों से एक लाख 12 हजार नाम काट दिया गया है जिससे छात्र छात्राओं सहित अभिभावकों में हड़कंप मच गया है. वहीं, स्कूल के शिक्षक भी परेशान है शिक्षा विभाग के फरमान के बाद जिला के स्कूलों में शिक्षकों ने यह कदम उठाया है. हैरान करने वाली बात यह है कि 16,17,18 अक्टूबर जो बच्चे स्कूल नहीं आये थे उनका नाम स्कूल से काटा गया है वो भी किसी भी बच्चों को स्कूल प्रशासन की तरफ से कोई नोटिस नहीं दिया गया है. बता दें की दशहरा में 16,17,18 अक्टूबर को जो बच्चे स्कूल नहीं आये थे उनका नाम काटा गया है.

मझौलिया का यें मोतीलाल राजकीयकृत उच्च विद्यालय है जिसमें 1627 बच्चों का नमांकन है 9th से 12th तक यंहा क्लास चलता है 26 शिक्षक कार्यरत है. फिजिकस के शिक्षक स्कुल में नहीं है विद्यालय से 335 छात्रों का नाम काट दिया गया है पहले आदेश में जो पंद्रह दिन तक छात्र छात्राएं नहीं आये थे उस समय 92 छात्र छात्राओं का नाम काटा गया था. दूसरे आदेश में 16,17,18 अक्टूबर जो छात्र नहीं आये थे उसमे 235 छात्र छात्राओं का नाम काट दिया गया है वो भी बिना नोटिस दिए छात्रों का नाम काट दिया गया है. बच्चों मंथली परीक्षा भी चल रहा है छात्र काफी परेशान है जी मिडिया को छात्र छात्राओं और शिक्षकों ने बताया कि सरकार को ऐसा फरमान जारी नहीं करना चाहिए. तीन दिन तक किसी के यहां इमरजेंसी हो सकता है नाम काटने से पहले नोटिस भी देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है. 

स्कूल के प्रधानाचार्य मोहम्मद शिबली ने बताया कि स्कूल से 335 छात्रों का नाम काटा गया 16,17,18 को स्कूल नहीं आने वाले 243 छात्रों का नाम काटा गया. नया आदेश जो आया था उसमें काटा गया है पंद्रह दिन वाले में 92 छात्रों का नाम काटा गया है सभी बच्चों को नोटिस किया जा रहा है आवेदन मिलने पर सबका नाम फिर से लिखा जायेगा.

भागलपुर में सरकारी स्कूलों में 72 हजार बच्चों का नामांकन हुआ रद्द
भागलपुर में सिर्फ 72 हजार बच्चों के नाम काटे गए हैं. पहली से आठवीं कक्षा तक के 60 हजार बच्चों और 9 से 12 कक्षा तक के 12 हजार बच्चों के नाम काटे गए हैं. यह वैसे बच्चे हैं जो नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे थे या सरकारी स्कूल में नाम लिखवाकर दूसरे शहरों में निजी स्कूलों संस्थानो में पढ़ाई कर रहे थे. ये सभी विद्यार्थी आगामी परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो सकेंगे. हालांकि एक नियम इसमें शिक्षा विभाग ने बनाया है की कक्षा 9 से 12 तक के जिन बच्चों के नाम कटे हैं उन्हें अगर आगामी मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में शामिल होने तभी दिया जाएगा जब बच्चे के मां पिता दोबारा गलती नहीं दोहराने का हलफनामा देंगे. शिक्षा विभाग तीन दिनों तक स्कूल से गायब रहने वाले बच्चों को नोटिस भेज रही है. कुछ ऐसे भी बच्चे है जो लागतार स्कूल पहुंच रहे हैं. स्कूलों में व्यव्स्थाओं में भी सुधार किया जा रहा है. नवस्थापित जिला स्कूल में बच्चों से हमने बात की तो बच्चों ने कहा कि उनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत नहीं 100 प्रतिशत होगी कोचिंग जाना छोड़ चुके हैं स्कूलों में पढ़ाई सही से हो रही है लेकिन जिन बच्चों के नाम कटे है उन्हें मौका दिया जाना चाहिए उनका करियर बर्बाद होगा और वह बेरोजगार रह जाएंगे. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि 72 हजार बच्चों के नामांकन रद्द किए गए हैं बच्चों की उपस्थिति सुधारने के लिए पहल किये जा रहे हैं. ऐसे कई बच्चे है जो स्कूल नहीं आते है या स्कूल में नाम लिखवाकर बाहर पढ़ाई करते है विभाग के आदेश पर लगातार कार्रवाई की जा रही है.

कटिहार में 19 सौ 83 स्कूलों से लगभग 1 लाख 5 हजार बच्चों का नाम काटा
जिला शिक्षा विभाग के शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि सरकार के निर्देश पर कड़ाई से पालन 16 प्रखंडो में किया गया. अनुपस्थिति छात्र-छात्रों की संख्या में अब 70% की वृद्धि देखी जा रही है. नाम काटे गए छात्रों के अभिभावकों ने शपथपत्र दाखिल कर उनको नामांकित करने की कार्यवाही. रोजना प्राइमरी और हाई स्कूल में हो रही है. गुरु गोष्टि के माध्यम से अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है ताकि 75% की उपस्थिति विद्यालय में हो. उन बच्चों का नामांकन काटा गया है, जो बाहर रहकर सरकार के विद्यालय में नामांकित का लाभ ले रखा था. पर नाम काटे गए बच्चों की शपथ पत्र के माध्यम से वापसी हो रही है. कटिहार में 19 सौ 83 स्कूलों से लगभग 1 लाख 5 हजार बच्चों का नाम काटा गया है.

पटना में सरकारी विद्यालयों से बच्चों के नाम काटे जाने पर शिक्षक संघ नाराज
बिहार के शिक्षा विभाग ने अनुपस्थित रहने के कारण राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 20,87,063 छात्र-छात्राओं का पंजीकरण रद्द कर दिया है, सबसे अधिक मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण के सरकारी विद्यालयों में छात्र अनुपस्थित पाए गए हैं,वही सबसे कम शिवहर में 20 हजार 206 छात्र अनुपस्थित मिले हैं इसके बाद अब विभाग ने यह कार्रवाई की है. संबंधित अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना बच्चों को लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित पाए जाने के बाद विभाग ने ये कड़ा कदम उठाया है, इनमें 2,66,564 छात्र कक्षा 9 से 12 तक के हैं, इस कार्रवाई के बाद इन छात्र-छात्राओं को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में तब तक शामिल नहीं होने दिया जाएगा, जब तक कि उनके माता-पिता दोबारा उनकी गलती न दोहराने का हलफनामा दाखिल न कर दें. 

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वही, इसको लेकर शिक्षक संघ नाराज है, बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में सभी बच्चों को पढ़ने का अधिकार दिया गया है,अगर किसी कारण से बच्चा 10 दिन स्कूल नहीं जाता है तो ये सोचते है प्राइवेट में पढ़ रहा है नाम काट देते है ये बिल्कुल व्यवहारिक नहीं है, जांच कर लीजिए यदि निजी विद्यालय में बच्चा पढ़ता है तो निश्चित तौर पर उसका नाम सरकारी विद्यालय में नहीं रहना चाहिए , बाल संरक्षण आयोग को संज्ञान लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस बच्चे का नाम सरकारी विद्यालय के अतिरिक्त दूसरे जगह नहीं है उसका नाम नही काटा जाए.

टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा बिहार सरकार जो बच्चों का नाम काट रही है वह पूरी तरीके से असंवैधानिक है , कहीं से भी शिक्षा के अधिकार कानून में यह उल्लेख नहीं है की कोई बच्चा 3 दिन तक विद्यालय नहीं आता है तो उसका नाम काट दिया जाए लेकिन शिक्षा विभाग बिना किसी नियम कायदे के बच्चों का नाम काट रही है. टीईटी शिक्षक संघ ने मांग किया कि जिन बच्चों का नाम काटा गया उनको दोबारा विद्यालय में नामांकित किया जाए, शिक्षक संघ नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट में अपील करेंगे.

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कैमूर में बोले एमएलसी जीवन कुमार 
शिक्षक एमएलसी जीवन कुमार ने बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, ''अभी नौवीं क्लास की परीक्षा मैं उर्दू के प्रश्न पूछे जा रहे हैं जो सरासर गलत है. जो बच्चे उर्दू के विषय में नहीं जानते हैं वह उसका जवाब कैसे देंगे. ऐसा तो इस्लामिक देशों में होता है जिसे बिहार सरकार द्वारा शिक्षा का के रूप में बिहार में थोपा जा रहा. हमारे सनातन धर्म के साथ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है जिसका हम पुरजोर विरोध कर रहे हैं.''

उन्होंने कहा कि लैंड फॉर जॉब घोटाले की तरह बिहार में शिक्षक घोटाला किया जा रहा है. पैसा दीजिए फर्जी डॉक्यूमेंट लाइए और नौकरी पाईए चल रहा है. नीतीश कुमार सवा लाख नौकरी देने का जो बातें कर रहे थे उसमें महज 8000 ही बिहार के युवाओं को नौकरी मिल रही है बाकी नौकरी पाने वाले लोग तो दूसरे राज्यों के हैं. नीतीश कुमार के नाभि में सिर्फ मदरसा ही बसा हुआ है, नहीं तो वह ऐसा नहीं करते. सिर्फ मुस्लिम ही उनके वोटर नहीं है ऐसा करके वह दूसरे धर्म के लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहे हैं. बिहार की नीतीश सरकार पाकिस्तान और अरेबियन शिक्षा फॉर्मेट पर बिहार की शिक्षा व्यवस्था को चलाना चाहती है जो हमारे धर्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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