Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार ने लिया ये चौंकाने वाला फैसला! व‍ित्‍त मंत्री ने क‍िया ऐलान
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Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार ने लिया ये चौंकाने वाला फैसला! व‍ित्‍त मंत्री ने क‍िया ऐलान

पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का दबाव केंद्र सरकार पर बढ़ता जा रहा है.

(फाइल फोटो)

Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का दबाव केंद्र सरकार पर बढ़ता जा रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू नहीं करने को लेकर भी इशारा कर चुकी है, हालांकि दिसबंर 2003 से पहले सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों को सरकार की तरफ से एक बार नई पेंशन से पुरानी पेंशन व्यवस्था में आने का मौका दिया गया है. यह वन टाइम प्रोसेस होगा. लेकिन जनवरी 2004 के बाद से सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों के लिए विकल्प के तौर पर एक ही पेंशन व्यवस्था रखी गई है वह है नई पेंशन स्कीम. ऐसे में अब बचे केंद्रीय कर्मचारी भी सरकार के ऊपर दबाव बना रहे हैं कि पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए. 

बता दें कि केंद्र सरकार से इतर देश की 5 राज्य सरकारों ने अपने यहां पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का फैसला लिया है. इनमें से राजस्थान ने सबसे पहले इसे लागू करने का फैसला लिया. फिर पंजाब, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और झारखंड की सरकारों ने भी इस लागू करने की घोषणा कर दी.इसके बाद से केंद्र सरकार पर इसको लेकर प्रेशर ज्यादा बढ़ गया है. भाजपा शासित राज्यों में सरकारों पर इस दबाब को झेलना मुश्किल हो रहा है. 

बता दें कि ऐसे में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के अंतर्गत ही बेहतर लाभ देने के उद्देश्य से इसमें सुधार करने की सोच के साथ काम शुरू करने के लिए कमेटी का गठन किया है. इसके तहत आंध्र प्रदेश की सरकार की पेंशन व्यवस्था का आकलन किया जाएगा. जहां सेवानिवृति के बाद कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 33 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता है. जबकि आपको बता दें कि पुरानी पेंशन व्यवस्था में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अंतमि वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता रहा है और नई पेशन स्कीम पूरी तरह से बाजार पर आधारित पेंशन व्यवस्था है. जहां  सरकारी और कर्मचारी दोनों अंशदान करते हैं और इस पैसे को बाज में लगाया जाता है. ऐसे में बाजार के हिसाब से कर्मचारियों का पेंशन तैयार होता है. 

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इन दोनों व्यवस्था में अंतर यह है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था में पेंशन की राशि का अतिरिक्त बोझ सरकार के ऊपर पड़ता था. जबकि नई पेंशन स्कीम में यह अंशदान की व्यवस्था थी और इसमें सरकार पर बोझ कम पड़ता है. हालांकि नई पेंशन स्कीम में एक दिक्कत यह है कि कर्मचारी को पता ही नहीं होता कि उन्हें कितना पेंशन मिलने वाला है. 

ऐसे में अब केंद्र सरकार ने पेंशन व्यवस्था की फिर से समीक्षा के लिए वित्त सचिव टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया है. यह समिति आगे सरकार को जानकारी देगी की नई पेंशन व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है या नहीं. इसके पहले निर्मला सीतारमण ने संसद में पिछले साल कहा था कि केंद्र सरकार जनवरी 2004 के बाद से भर्ती किसी भी कर्मचारी को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने पर विचार नहीं कर रही है. 

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