22 साल..11 मुख्यमंत्री..10 दिनों में शिबू सोरेन को देना पड़ा था इस्तीफा, जानें कैसा है झारखंड का राजनीतिक इतिहास
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22 साल..11 मुख्यमंत्री..10 दिनों में शिबू सोरेन को देना पड़ा था इस्तीफा, जानें कैसा है झारखंड का राजनीतिक इतिहास

Chief Minister of Jharkhand: बिहार से अलग होकर नया राज्य झारखंड बनने के बाद लोगों को काफी उम्मीदं थी. लेकिन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अब तक 11 बार मुख्यमंत्रियों ने राज्य की कमानी संभाली. जानें कैसा रहा सभी का कार्यकाल.. 

22 साल..11 मुख्यमंत्री..10 दिनों में शिबू सोरेन को देना पड़ा था इस्तीफा, जानें कैसा है झारखंड का राजनीतिक इतिहास

रांची: 15 नवंबर 2000 को जब बिहार को बांट कर झारखंड राज्य बनाया गया था, तब लोगों को ये उम्मीद थी कि नया राज्य बनने के बाद झारखंड और यहां रहने वाले लोगों का काफी विकास होगा. लेकिन बिहार से अलग होने के 22 साल बाद भी झारखंड वहीं खड़ा है. बिहार से अलग होने के बाद ये संभावना थी कि जनजातीय बहुल झारखंड के अस्तित्व में आने से वो आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से और मजबूत होगा. ऐसी उम्मीद थी की खनिज संपदा, जंगल और पहाड़ों से पर्याप्त झारखंड में रहने वाले लोगों के जीवन में काफी बदलाव देखने को मिलेगा.

22 सालों में 11 मुख्यमंत्री
जल जंगल और जमीन के आधार पर अलग राज्य बने झारखंड से लोगों को काफी उम्मीदें थी, लेकिन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अब तक लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई. बंटवारे के बाद 22 सालों में झारखंड में 11 बार मुख्यमंत्री बदल चुके हैं और राज्य में 3 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया जा चुका है. झारखंड के 22 सालों के राजनीतिक इतिहास में अब तक मात्र एक मुख्यमंत्री ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है और एक बार फिर से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल रही है.  

बाबूलाल मरांडी बने राज्य के पहले सीएम
15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बीजेपी के बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कमान संभाली और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. हालांकि पार्टी में आंतरिक विरोध के कारण वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा.

सोरेन परिवार के हाथों में 5 बार कमान
जब भी झारखंड की बात होती है, तो लोगों की जुबान पर शिबू सोरेन का नाम सबसे पहले आ जाता है. झारखंड आंदोलन के नायक रहे शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. 2005 में वो पहली बार राज्य के सीएम की कुर्सी पर बैठे लेकिन बहुमत साबित न हो पाने के कारण उन्हें 10 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा था. जिसके बाद वो 2008 में फिर से सीएम बने, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. 2009 में उन्होंने फिर से सीएम पद की शपथ ली. वहीं शिबू सोरेन के बेटे और झारखंड के मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन ने दो बार झारखंड की बागडोर संभाली. 2013 में वो पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, पहली बार हेमंत अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे. इसके बाद उन्होंने 2019 में सीएम पद की शपथ ली. 

बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा 3 बार बने मुख्यमंत्री 
आदिवासी चेहरे के तौर पर जाने जानेवाले झारखंड बीजेपी के नेता अर्जुन मुंडा तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. 18 मार्च 2003 को पहली बार उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी. इसके बाद उन्होंने 2005 और 2010 में सीएम की कुर्सी संभाली लेकिन दोनों बार वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा बने मुख्यमंत्री
राज्य की राजनीति में नया मोड़ तब आया जब 18 सितंबर 2006 को निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने राज्य के मुख्यमंत्री तौर पर शपथ ली थी. तब मधु कोड़ा ने राज्य के पांचवें सीएम के तौर पर शपथ ली थी. उनका कार्यकाल दो साल से भी कम समय का रहा था. निर्दलीय विधायक रहते हुए भी राज्य का मुख्यमंत्री बनने के कारण मधु कोड़ा का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.

रघुवर दास ने पहली बार पूरा किया कार्यकाल
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला. तब बीजेपी ने रघुवर दास को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया. ये पहला मौका था जब झारखंड में किसी सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. रघुवर दास 28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 तक पूरे पांच साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. 

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