चतराः पहले गर्भवती महिला का किया ऑपरेशन, फिर मांगें 2 लाख की फीस, नहीं देने पर जच्चा बच्चा को बना लिया बंधक. जी हां कुछ ऐसा ही उपचार किए जाने का एक मामला चतरा के एमजी नर्सिंग होम में सामने आया है. भला हो सदर थाना प्रभारी मनोहर करमाली का जिन्होंने मामले की जानकारी होते ही इसमें हस्तक्षेप करते हुवे नर्सिंग होम पहुंचकर जच्चा बच्चा को वहां से सुरक्षित निकालकर उसे घर भेजवाया. इधर घटना से आहत पीड़िता के पति मंटू कुमार दांगी ने सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन सिंह को आवेदन देकर वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुवे नर्सिंग होम संचालक के विरुद्ध कारवाई करने की मांग की है.
आपको बता दें कि सदर थाना क्षेत्र के पकरिया गांव निवासी सुषमां देवी को प्रसव पीड़ा हो रहा था. इसी दौरान वह देवरिया बाईपास रोड में संचालित एमजी नर्सिंग होम के एक दलाल के चक्कर में फंसकर नर्सिंग होम पहुंच गया. जहां नर्सिंग होम की संचालक जो BEMS डिग्री धारक हैं. इनकी डिग्री को हिंदी में बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी कहा जाता है. परंतु डॉक्टर पूर्णिमा सिन्हा खुद को स्त्री रोग विशेषज्ञ न सिर्फ बताती हैं बल्कि बोर्ड और अपने लेटर पैड पर भी उन्होंने इस डिग्री को छपवा रखा है.
ऐसे मुन्ना भाई टाइप डॉक्टर ने आनन फानन में महिला के परिजनों को तुरंत आपरेशन नहीं किए जाने पर जच्चा बच्चा को होने वाले कई प्रकार के खतरे का भय दिखाकर ऑपरेशन कर दिया. फिर क्या था डॉक्टर साहिबा ने ऑपरेशन के बदले परिजनों से दो लाख की राशि की मांग कर डाली. गरीब सुषमा का पति ने उसे अपने पास 20 हजार रुपए होने की बात कही. डॉक्टर साहिबा ने ऑपरेशन के बाद उससे पहले 20 हजार ले लिए और शेष 1 लाख 80 हजार रुपये लाने को कह दिया. इतने रुपए की व्यवस्था करने में असमर्थता जताने पर जच्चा बच्चा को नर्सिंग होम में ही बंधक बना लिया.
वहीं बहुत विनती करने के बाद भी उन्होंने जच्चा बच्चा को नहीं छोड़ा. बल्कि कुछ गुंडे टाइप के लड़कों को बुलवाकर परिजनों की पिटाई भी करवा दी. ऐसे में सुषमा का पति भागकर सदर थाना पहुंचा और थाना इंचार्ज को सारी बातें बताई. थाना प्रभारी दल बल के साथ नर्सिंग होम पहुंचे और जच्चा बच्चा को घर भेजवाया. इस मामले में डॉक्टर पूर्णिमा सिन्हा का पक्ष लेने के लिए फोन किया गया तो उनके पति ने फोन उठाया और इस मामले में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया.
इनपुट- धर्मेंद्र पाठक