झारखंड का स्वर्ग देखा है क्या आपने? प्रकृति ने दोनों हाथों से दिया है अनुपम उपहार
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झारखंड का स्वर्ग देखा है क्या आपने? प्रकृति ने दोनों हाथों से दिया है अनुपम उपहार

Heaven of Jharkhand: झारखंड का लातेहार जिला यहां के 'स्वर्ग' के नाम से जाना जाता है. इस जिले को प्रकृति ने अपने हाथों से  सजाया है, प्रकृति के अनुपम उपहार से इस जिले की सौंदर्य छटा ऐसी बनी है कि इसे देखकर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना रह ही नहीं सकते हैं.

(फाइल फोटो)

लातेहार : Heaven of Jharkhand: झारखंड का लातेहार जिला यहां के 'स्वर्ग' के नाम से जाना जाता है. इस जिले को प्रकृति ने अपने हाथों से  सजाया है, प्रकृति के अनुपम उपहार से इस जिले की सौंदर्य छटा ऐसी बनी है कि इसे देखकर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना रह ही नहीं सकते हैं. हालांकि यह जिला नक्सलियों का भी क्षेत्र रहा है ऐसे में इसको लेकर लोगों के मन में एक खौफ भी रहता है. फिर भी आपको बता दें कि यहां पर्यटन स्थलों की भरमार है. 

लातेहार को झारखंड का स्वर्ग कहने के साथ धरती का छुपा हुआ 'स्वर्ग' भी कह दें तो कोई गलत बात नहीं होगी. प्रकृति ने जिस जगह को अपने दोनों हाथों से संवारा उसके बारे में हीं लोग कम जानते हैं. हालांकि यह जिला नेतरहाट स्कूल की वजह से लोगों के बीच खूब प्रसिद्ध है. यहां का बेतला नेशनल पार्क, लोध फॉल, सुगा बांध, केचकी संगम के साथ ही तमाम ऐसे स्थल हैं जिनको देखकर आप स्वतः हीं यहां आने के लिए फिर से तैयार हो जाएंगे. 

इसी जिले में झारखंड की रानी के नाम से नेतरहाट को पहचान मिली है. इसे देशभर में लोग जानते हैं. वहीं यहां का सुगा बंधा तो पिकनिक स्पॉट के तौर पर लोगों के बीच अपनी पहचान रखता है. इसके साथ ही बेतला नेशनल पार्क और कोयल एवं औरंगा नदी का संगम लोगों को अपनी ओर खींचता है. वहीं आजकल नवागढ़ के किले को देखने के लिए भी लोग भारी संख्या में पहुंचते हैं. यहां केचकी संगम जो कोयल एवं औरंगा नदी पर स्थित है वह जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है. वहीं नवागढ़ का किला जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है. 

इसके अलावा यहां देखने लायक जगहों में ततहापानी, डातम-पातम जलप्रपात, मिर्चिया फॉल, कांति झरना, दोमुहान संगम, झरिया जंगल, तुबेद गुफा सहति कई और जगहें हैं.  

यहां के प्रसिद्ध नेतरहाट को पहचान नेतरहाट स्कूल की वजह से मिली. इस स्कूल की ख्याति पूरे देश और दुनिया में व्याप्त है लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि उत्तराखंड और हिमाचल की तरह खूबसूरत वादियों का मजा आपको नेतरहाट में भी मिलेगा. इसे छोटानागपुर की रानी भी कहा जाता है.  

नेतरहाट मतलब 'बांस का बाजार'
नेतरहाट आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. घने जंगलों से भरे पड़े इस क्षेत्र की सुंदरता आपका मन मोहने के लिए काफी है. यहां आपको साल, सागवान, सखुआ और बांस के अत्यधिक पेड़ मिलेंगे. आपको बता दें संथाल आदिवासी भाषा में नेतरहाट का मतलब होता है 'बांस का बाजार'. नेतरहाट समुद्र तल से 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. झारखंड की राजधानी रांची से नेतरहाट की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है.

सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद प्यारा
देश भर से पर्यटक यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने आते हैं. यहां पहले से भी राज्य भर के पर्यटक आते रहे हैं लेकिन यहां पर्यटन के विकास के साथ ही बता दें कि अब धीरे-धीरे देश भर से लोग आने लगे हैं. यहां से सनसेट प्वाइंट की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है. 

वाटरफॉल
नेतरहाट का लोध वाटरफॉल इस हिल स्टेशन की खूबसूरती को बढ़ा देता है. नेतरहाट से इस वाटरफॉल की दूरी 68 किमी. है.  यह झारखंड का सबसे ऊंचा झरना है. आदिवासियों का प्रकृति प्रेम और उनकी अद्भुत परंपरा को भी आप यहां देख पाएंगे. यहां का नेतरहाट डैम और कोयल नदी का दृश्य भी आपके मन को मोह लेगा. 

ट्रेकिंग करें, नाशपति गार्डन देखें
नेतरहाट की पहाड़ियां में चीड़ और देवदार के पेड़ों की बड़ी श्रृंखला है. ऐसे में अगर आप प्रति प्रेमी हैं और यहां की खूबसूरती को निहारना चाहते हैं तो आपको ट्रेकिंग करना पड़ेगा. यहां के जंगल आपका मन मोह लेंगे. यहां नाशपति गार्डन है जो फूलों से अच्छादित है. ऐसे में आप यहां जरूर घूमने जाएं. 

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