साल 1928 के ओलंपिक में जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने लीग चरण में 17 मैच खेले, जिनमें से 16 जीते और एक ड्रा रहा था.
जयपाल सिंह मुंडा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉकी टीम के सदस्य थे. वह एक डीप डिफेंडर के तौर उनके खेल की पहचान थी. जयपाल सिंह की साफ-सुथरी टैकलिंग, समझदार गेमप्ले और अच्छी तरह से निर्देशित हार्ड हिट थे.
बिहार में हॉकी को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव राज्य के प्रतिभावान खिलाड़ियों को आगे बढ़ने से रोक रहा है. इसके लिए राज्य सरकार को विशेष ध्यान देनी की जरूरत है.
अब देखिए जिस राज्य से देश को हॉकी में पहला गोल्ड दिलाने वाला कप्तान रहा हो. उस राज्य में हॉकी की क्या हालात है. यह किसी से छुपा नहीं है.
बिहार में हॉकी के लिए एक एक भी अच्छा स्टेडियम तक नहीं है. हालांकि, सीएम नीतीश कुमार कई बार हॉकी के एस्ट्रो टर्फ के बनाने का वादा कर चुके हैं. फिर भी यह अधूरा है.
साल 1928 के एम्सड्रेम ओलिंपिक में भारत ने जब पहली बार गोल्ड जीता था, तब भारतीय हॉकी टीम के कप्तान जयपाल सिंह मुंडा बिहार के रहने वाले थे.
बिहार में हॉकी का बुरा हाल है, तब से जब से झारखंड बिहार से अलग हुआ है. ओलिंपिक में जाने लायक खिलाड़ी तो बहुत दूर की बात है. नेशनल लेवल तक भी खिलाड़ी नहीं पहुंच रहे हैं.