Nirbhaya Case के 10 साल पूरे होने पर स्वाती मालीवाल का पत्र, आज संसद में हो महिला सुरक्षा पर चर्चा
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Nirbhaya Case के 10 साल पूरे होने पर स्वाती मालीवाल का पत्र, आज संसद में हो महिला सुरक्षा पर चर्चा

10 Years Of Nirbhaya Gangrape Case: महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आज सदन की कार्यवाही स्थगित कर संसद में महिला सुरक्षा में मुद्दों पर चर्चा करने की मांग की है.

Nirbhaya Case के 10 साल पूरे होने पर स्वाती मालीवाल का पत्र, आज संसद में हो महिला सुरक्षा पर चर्चा

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस को आज से 10 साल पूरे हो गए हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने लोकसभा व राज्यसभा स्पीकर को पत्र लिखकर मांग की कि आज सदन की कार्यवाही स्थगित कर संसद में महिला सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की जाए. 

 

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने लोकसभा व राज्यसभा स्पीकर को पत्र के जरिए कहा कि आज निर्भया गैंगरेप केस को 10 साल पूरे हो रहे हैं. दुख की बात है कि आजतक कुछ नहीं बदला. लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा अध्यक्ष आज सदन की कार्यवाही स्थगित करके संसद के महिला सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करें. 

स्वाति मालीवाल ने पत्र में लिखा 'जैसा कि आप जानते ही होंगे आज निर्भया की दसवीं बरसी है. दिसंबर 2012 में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. इस घटना से सारे देश को झकझोर के रख दिया. देशभर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए. इस केस के बाद कुछ नियमों में बदलाव भी किया गया. 

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ वीभत्स घटना और अपराधों को 10 साल बीत चुके हैं. हर दिन देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन 6 रेप के मामले सामने आ रहे हैं. दिल्ली में एक 8 महीने की बच्ची और 90 साल की महिला के साथ भी रेप हो रहा. 

दो दिन पहले दिल्ली के द्वारका में एक 17 साल की लड़की अपने स्कूल जा रही थी, तभी बाइक सवार दो युवकों ने उसे पकड़ लिया
उसके ऊपर तेजाब फेंक दिया. वह गंभीर रूप से जल गई है और अस्पताल में भर्ती है. देश के सभी हिस्सों से ऐसे खौफनाक मामले सामने आ रहे हैं. 

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों की समस्या महामारी के अनुपात में पहुंच गई है और सरकारें इसका मुकाबला करने के लिए ठोस कदम उठाने में विफल हो रही हैं. यहां तक ​​कि निर्भया फंड जो कि यौन हमले से बची महिलाओं और लड़कियों के लिए राहत और पुनर्वास प्रदान करने  के लिए स्थापित किया गया था उसे भी कम कर दिया गया है. 

सरकारें अपराधों के खिलाफ लोगों के मन में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में विफल रही हैं. महिलाओं और लड़कियों के लिए पुलिस की जवाबदेही को मजबूत करने और उसकी जवाबदेही तय करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया गया हो. यहां तक ​​कि तेजाब भी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन करते हुए पूरे देश में खुलेआम बेचा जा रहा है.

देश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ बढ़ते अपराध बहुत ही चिंता का विषय है. इनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है. इसलिए मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि कृपया आज के कार्यक्रम को स्थगित करें. लोकसभा व राज्यसभा में ये सुनिश्चित हो कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मामले में सदन में ठीक से चर्चा करेंगे ताकि इन मुद्दों पर तत्काल कदम उठाए जा सकें.'

 

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