Bajrang Punia Return Padma Shree: कल साक्षी मलिक ने कुश्ती त्यागने का ऐलान किया. वहीं अब जाकर टोक्यो ओलंपिक में कास्य पदक जीतने वाले बजरंग पुनिया ने भी पद्मश्री पुरस्कार को लौटाना की घोषणा की है.
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Bajrang Punia Return Padma Shree: कल WFI के अध्यक्ष के चुनाव में बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह की जीत के बाद. नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में पहलवानों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें साक्षी मलिक ने कुश्ती त्यागने का ऐलान किया. वहीं अब जाकर टोक्यो ओलंपिक में कास्य पदक जीतने वाले बजरंग पुनिया ने भी पद्मश्री पुरस्कार को लौटाना की घोषणा की है.
PM मोदी को लिखी चिट्ठी
बजरंग पूनिया ने अपने X हैंडल पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि मैं आपका (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) का ध्यान कुश्ती के तरफ आकर्षित करना चाहता हूं. इसके साथ ही उन्होंने अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का भी ऐलान किया है.
मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरी स्टेटमेंट है। pic.twitter.com/PYfA9KhUg9
— Bajrang Punia (@BajrangPunia) December 22, 2023
बजरंग पूनिया के पत्र का हिस्सा
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया. खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ. लगा था कि जीवन सफल हो गया. लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं. कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है. खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे. पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे. लेकिन पहली पीढी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका. हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश-विदेश तक जा रही हैं. लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं, उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी. जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा. हम "सम्मानित" पहलवान कुछ नहीं कर सके. महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं "सम्मानित" बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा. ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे. इसलिए ये "सम्मान" मैं आपको लौटा रहा हूं.