Kalkaji Murder Mystery: पुलिसकर्मी ने मर्डर केस को बना लिया चैलेंज, 17 साल बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया दम
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Kalkaji Murder Mystery: पुलिसकर्मी ने मर्डर केस को बना लिया चैलेंज, 17 साल बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया दम

Delhi Crime Story: जुर्म पर कितना ही पर्दा डाल दो, लेकिन वो छिपता नहीं. कालकाजी में युवती के हत्यारोपी को ये अंदाजा भी न था कि किराये पर कमरा लेते वक्त पुलिस वेरिफिकेशन के लिए दी तस्वीर की वजह से वह 17 साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आ जाएगा.

Kalkaji Murder Mystery: पुलिसकर्मी ने मर्डर केस को बना लिया चैलेंज, 17 साल बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया दम

Delhi News: कालकाजी थाना क्षेत्र में 22 साल की युवती की हत्या के मामले में क्राइम ब्रांच ने करीब 17 साल बाद वांटेड आरोपी को गिरफ्तार कर दिया है. पुलिस ने उसे विजय विहार, सेक्टर-4, रोहिणी स्थित ठिकाने से धर दबोचा. डेढ़ दशक पहले किए जुर्म में आरोपी को ये अंदाजा भी न था कि किराये पर कमरा लेते वक्त दी फोटो से वह पुलिस के चंगुल में जाकर फंस जाएगा. आखिर क्या था मामला, अब हम आपको विस्तार से बताते हैं. 

17 साल पहले आखिर हुआ क्या था?
दरअसल शिकायतकर्ता ने बताया कि वह प्रॉपर्टी डीलर है और कमीशन पर मकान किराये पर दिलाने का काम करता है. 2 जून 2007 को मूल रूप से जिला वैशाली, बिहार के रहने वाले वीरेंद्र सिंह एक युवती के साथ आया और किराये के मकान के लिए शिकायतकर्ता से संपर्क किया. मकान पसंद आने के बाद वीरेंद्र ने टोकन मनी के रूप में तीन हजार रुपये दिए और बाकी पैसा अगले दिन देने की बात कही. अगले दिन जब शिकायतकर्ता ने शेष राशि के लिए वीरेंद्र सिंह से संपर्क किया तो उसने कहा कि वह 2-3 दिनों के लिए दिल्ली से बाहर है.

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जब 7 जून को शिकायतकर्ता वीरेंद्र सिंह को दिए गए घर पर पहुंचा तो घर बंद मिला और अंदर से बदबू आ रही थी. इसके बाद उसने पुलिस को बुला लिया. जब घर के अंदर पुलिस दाखिल हुई तो एक ट्रंक से युवती का शव बरामद किया. हत्या का केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने सह आरोपी शंकर घोष को गिरफ्तार कर लिया, जबकि मुख्य आरोपी वीरेंद्र फरार हो गया. 2008 दिल्ली की अदालत ने वीरेंद्र को घोषित अपराधी घोषित कर दिया. 

बार-बार ठिकाना बदलकर बचता रहा आरोपी 
केस दर्ज होने के समय एएसआई रमेश (जो वर्तमान में एजीएस/क्राइम ब्रांच में तैनात हैं) थाना कालकाजी में तैनात थे. उस समय उन्होंने आरोपी वीरेंद्र सिंह का पता लगाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन बार-बार ठिकाना बदलने के कारण वीरेंद्र पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया. एएसआई रमेश का वहां से तबादला हो गया, लेकिन 2017 में उन्हें फिर से थाना कालकाजी में तैनात किया गया. आश्चर्य की बात यह रही कि हत्यारोपी वीरेंद्र सिंह अब भी फरार था. एएसआई रमेश ने एक बार फिर उन लोगों से वीरेंद्र के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देह व्यापार के धंधे में शामिल थे.

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गिरफ्तारी में मिली नाकामी को बना लिया था चुनौती 
इस दौरान रमेश को पता चला कि आरोपी वीरेंद्र सिंह पानीपत में छिपा हुआ है, लेकिन दबिश देने पर वह नहीं मिला, क्योंकि वह बार-बार अपना किराये का मकान बदल रहा था. साल दर साल समय बीतता गया. फरवरी 2024 में एएसआई रमेश का तबादला क्राइम ब्रांच में कर दिया गया और उन्हें एंटी गैंग्स स्क्वॉड (एजीएस) में तैनात किया गया. उन्होंने केस को एक चुनौती के रूप में लिया और इंस्पेक्टर पवन कुमार और विकास पन्नू और एसीपी नरेश कुमार के नेतृत्व में फिर से इस पर काम करना शुरू कर दिया. 

किरायेदार वेरिफिकेशन फॉर्म की तस्वीर आई काम 
उसके पास आरोपी द्वारा 2007 में जमा किए गए किरायेदार सत्यापन फॉर्म की एक प्रति थी, जिसमें आरोपी की पुरानी तस्वीर थी. उन्होंने फिर से कालकाजी और गोविंदपुरी के इलाके से जानकारी एकत्र करना शुरू किया. इस बार पता चला कि आरोपी वीरेंद्र विजय विहार, रोहिणी में छिपा हुआ है. कड़ी मेहनत करने के बाद आरोपी के सभी पुराने पतों का सत्यापन किया गया और आरोपी और उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी खंगाली और इसके बाद पुलिस को सफलता हाथ लग ही गई और 57 साल के आरोपी को धर दबोचा.  

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इस वजह से वारदात को दिया था अंजाम 
पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि उसने अलग-अलग व्यक्तियों से देह व्यापार के धंधे के बारे में जानकारी जुटाई. 2001 में वह आसानी से पैसा कमाने के लिए देह व्यापार के धंधे में आ गया. उसने पश्चिम बंगाल से युवतियों को खरीदा और फिर उन्हें देह व्यापार में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. 2007 में वीरेंद्र ने पीड़ित युवती को 10 हजार रुपये में खरीदा था. 4 जून 2007 को जब युवती ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देकर धंधे पर जाने से मना कर दिया तो आपा खोए आरोपी ने उसकी हत्या कर दी. उसने शव को एक लोहे के बक्से में बंद कर दिया और किराये के मकान में छिपकर कोलकाता भाग गया. 

कमीशन पर घरों में नौकरानी मुहैया करा रहा था
इसके बाद वह सिलीगुड़ी में एक लड़की के घर में रहा, जो दिल्ली में उसके लिए काम करती थी. वह पश्चिम बंगाल में अपने ठिकाने बदलता रहा. 2009 में वह अंबाला आया और अपने दोस्त लाभू के साथ देह व्यापार के धंधे में शामिल हो गया. इसके बाद 2013 में वह पानीपत चला गया. वह 2019 में दिल्ली वापस आया और विजय विहार, रोहिणी में रहने लगा. वर्तमान में आरोपी बिहार, पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों से आई युवतियों को दिल्ली में नौकरानी के रूप में भर्ती करने के लिए कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था.

इनपुट: राजकुमार भाटी

 

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