26 फरवरी 2023 को सीबीआई कार्यालय से गिरफ्तारी के बाद से ही सिसोदिया लगातार न्यायिक हिरासत में हैं. इस दौरान उन्होंने ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाएं लगाईं, लेकिन कहीं से भी सिसोदिया को राहत नहीं मिल सकी.
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Manish Sisodia: कथित शराब घोटाला मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी मंगलवार को एक बार फिर से खारिज कर दी गई. सिसोदिया की जमानत अर्जी को तकरीबन एक साल में अब तक सात बार खारिज कर दी गई है. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर शराब घोटले को लेकर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के अलग-अलग मामलों में एफआईआर दर्ज की थीं.
26 फरवरी 2023 को सीबीआई कार्यालय से गिरफ्तारी के बाद से ही सिसोदिया लगातार न्यायिक हिरासत में हैं. इस दौरान उन्होंने ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाएं लगाईं, लेकिन कहीं से भी सिसोदिया को राहत नहीं मिल सकी.
आप पार्टी करेगी दिल्ली हाईकोर्ट क रुख
सीबीआई और ईडी के मामलों में अदालत ने मंगलवार को सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह जमानत देने के लिए सहीं समय नहीं है. अदालत ने सीबीआई, ईडी और सिसोदिया का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षिचत लिखा था. वहीं आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की जमानत अर्जी को खारिज करने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करेगी.
साल में 7 बार जमानत अर्जी हुई खारिज
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को शराब घोटले में उनकी कथित भूमिका के लिए उन्हें गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार के दो दिन बाद ही सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. वहीं इसके बाद 9 मार्च, 2023 को ईडी ने सीबीआई की एफआईआर से जुडे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. इसके बाद सिसोदिया ने 31 मार्च 2023 उसके बाद 28 अप्रैल 2023, 3 मई 2023, 30 मई 2023, 3 जुलाई 2023, 30 अक्टूबर 2023 और 14 मार्च 2024 को अपनी जमानत अर्जी लगाई थीं, लेकिन उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया.
ईडी के साथ-साथ सीबीआई ने भी सिसोदिया पर आरोप लगाया था कि दिल्ली शराब नीति में बदलाव करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया. लाइसेंस फीस या तो माफ कर दी गई या फिर कम कर दी गई और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंस बढ़ा दिए गए. इसके साथ ही जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि लाभार्थियों ने कथित तौर पर अवैध लाभ को आरोपी अधिकारियों तक पहुंचाया है और जांच से बचने के लिए अपने अकाउंट बुक्स में कई गलत एंट्रियां भी की.