Karnal By-Election: करनाल उपचुनाव को रद्द करने की मांग पर सुनवाई, जानें HC का फैसला
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2186145

Karnal By-Election: करनाल उपचुनाव को रद्द करने की मांग पर सुनवाई, जानें HC का फैसला

देश में लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने वाले हैं, जो कि 19 अप्रैल से लेकर 1 जून को खत्म होंगे. जिसके बाद 4 जून को मतगणना होने के बाद विजेताओं का ऐलान किया जाएगा. वहीं लोकसभा के साथ कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे.

Karnal By-Election: करनाल उपचुनाव को रद्द करने की मांग पर सुनवाई, जानें HC का फैसला

Karnal By-Election: देश में लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने वाले हैं, जो कि 19 अप्रैल से लेकर 1 जून को खत्म होंगे. जिसके बाद 4 जून को मतगणना होने के बाद विजेताओं का ऐलान किया जाएगा. वहीं लोकसभा के साथ कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे. इसी कड़ी में 25 मई को हरियाणा में करनाल विधानसभा ता उपचुनाव होना. इसको लेकर कोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने पक्षों का फैसला सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. 

करनाल विधानसभा में उपचुनाव करवाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि जिस विधानसभा में चुनाव के लिए एक साल से कम समय बचा है, वहां पर उपचुनाव नहीं हो सकता है. इसी को लेकर चुनाव रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दर्ज की गई. इस याचिका में बीते दिनों आए महाराष्ट्र में हाईकोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने एक उपचुनाव की नोटिफिकेशन को वापस ले लिया था. वहां चुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया था.

याचिका दाखिल करने वाले पक्ष के वकील सिमरपाल सिंह ने कहा कि संविधान सभी के साथ समान व्यवहार करने की बात कहता है. संविधान के अनुसार किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता. हमने चुनाव आयोग से करनाल उपचुनाव के नोटिफिकेशन को वापस लेने की याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी. बहस के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि जब कहीं पर मंत्री या मुख्यमंत्री के चुनाव की बात होती है तो चुनाव 6 महीने में करवाने जरूरी होते हैं.

ये भी पढ़ें: गठबंधन के लिए INDIA नाम का प्रयोग होने पर HC में PIL दर्ज,विपक्षी दलों से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता के वकील सिमरपाल ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. वह यह कैसे कह सकती है कि चुनाव के बाद बीजेपी अपने प्रत्याशी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी. उत्तराखंड में भी ऐसा ही एक वाक्य हुआ था, जहां पर एक शख्स को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन चुनाव नहीं होने के कारण उन्हें रिजाइन देना पड़ा था.

वकील ने कहा कि पब्लिक रिप्रेजेंटेशन कानून की धारा 151 ए के तहत किसी भी खाली सीट के ऊपर 6 महीने में चुनाव करवाने होते हैं, लेकिन विधानसभा या लोकसभा की अवधि में एक साल से काम का समय बचा है तो चुनाव नहीं करवाए जाते.

INPUT: VIJAY RANA 

Trending news