Panipat News: ओल्ड तहसील इमारत जर्जर घोषित होने के बावजूद नहीं हो रही ध्वस्त, 4 साल से चल रहा प्रोसेस
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Panipat News: ओल्ड तहसील इमारत जर्जर घोषित होने के बावजूद नहीं हो रही ध्वस्त, 4 साल से चल रहा प्रोसेस

Panipat Hindi News: जर्जर हुई इमारतों में काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी व आम जनता की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा होता है. आला अधिकारियों को बार-बार पत्राचार करने के बावजूद भी इमारतों का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है.

Panipat News: ओल्ड तहसील इमारत जर्जर घोषित होने के बावजूद नहीं हो रही ध्वस्त, 4 साल से चल रहा प्रोसेस

Panipat News: हरियाणा प्रदेश की सरकार प्रदेशभर की सभी सरकारी जर्जर हुई इमारतों के नवीनीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे करती रहती है, लेकिन उसके बावजूद आज भी कई इमारतें जर्जर हालत में है. जर्जर हुई इमारतों में काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी व आम जनता की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा होता है. आला अधिकारियों को बार-बार पत्राचार करने के बावजूद भी इमारतों का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है.

इसी कड़ी में पानीपत की ओल्ड तहसील इमारत बुरी तरह से जर्जर हालत में है. ओल्ड तहसील इमारत कंडम घोषित होने के बावजूद भी इमारत को नहीं ध्वस्त नहीं किया जा रहा है. अगर हम बात करें मानसून के दिनों में तो ओल्ड तहसील इमारत के सभी कमरों की छतों से पानी टपकता है. जिससे सरकारी रिकॉर्ड के साथ आम जनता के जरूरी कागजो का नष्ट होने का खतरा हमेशा से मंडराता रहता है. 

जर्जर इमारत को ध्वस्त करने की अनुमानित राशि के मैटेरियल लागत बनने के बावजूद भी इमारत को नहीं गिराया जा रहा है, जिससे कि कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है. इस जर्जर  इमारत में ट्रेजरी विभाग के अधिकारी व पटवार  खाना में पटवारी काम करते हैं. पटवार खाना में तो आम जनता अपनी प्रॉपर्टी के इंतकाल करवाने के लिए काफी संख्या में पहुंचती है. पानीपत की ओल्ड तहसील इमारत में ट्रेजरी का लगभग 4300 स्क्वायर फीट व पटवार खाना 1048 स्क्वायर फीट में 1970 से कार्यालय चल रहे है.

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पीडब्ल्यूडी विभाग 5-7-2021 को इमारत को ध्वस्त करने के लिए कुल 3 लाख 15 हजार 316 रुपये की अनुमानित राशि का बजट बनाया गया था. जबकि 2019 में यह इमारत कंडम घोषित की गई थी. 2019 से 2023 तक बार-बार प्रशासन को इमारत गिराने या फिर इसे शिफ्ट करने के लिए पत्राचार किया गया, लेकिन प्रशासन है कि मौन है और किसी बड़े हादसे होने का इंतजार कर रहा है. 

ओल्ड तहसील की इमारत का निर्माण 1970 में किया गया था, जबकि पटवार खाना का 1973 में उस समय काल एचवी गोसाई ने नीव पत्थर रखा था. आज 53 साल बीत इमारत जर्जर हो चुकी है जोकि कभी भी किसी भी समय गिर सकती है. इमारत में लगी ईंटे पुराने समयकाल की है जिस पर से प्लास्टर भी गिरना शुरू हो चुका है.

पटवार खाने के कानूगो विजेंद्र जर्जर इमारत के बारे पूछा तो बोले इस बारे में कुछ नहीं पता है, लेकिम उन्होंने इतना कहा कि बिल्डिंग कंडम घोषित हो चुकी है. इसलिए दूसरी इमारत में पटवारी काम चला रहे हैं. कानूगो ने कहा कि आला अधिकारी लघु सचिवालय में जगह नहीं दे रहे हैं, लेकिन इस जर्जर हालत इमारत को नई बनाने की बात कह रहे हैं. इमारत कब बनेगी इसके बारे में कुछ जानकारी नहीं है.

ट्रेजरी विभाग के अधिकारी हजारा सिंह ने बताया कि लगभग वर्ष 1970 के दशक की इमारत है, लेकिन पिछले कई सालों से कंडम घोषित हुई है . उन्होंने कहा कि इस कार्यालय में जहां हम बैठे हैं यहां भी बरसात का पानी छत से गिरता है . उन्होंने बताया कि कार्यालय के सभी कमरों में बरसात का पानी गिरता है. हजारा सिंह ने बताया कि उपायुक्त व अधिकारियों को पत्राचार किया ज्ञात हुआ है कि फाइल प्रोसेस में है. अधिकारी ने कहा कि इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं सिर्फ आला अधिकारी कुछ पूरे मामले में बताएंगे. सिंह ने खुद दिखाया कि किस प्रकार से छतों से पानी कैसे निकलता है.

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पटवारी ने भी कहा कि छत से पानी निकलता है और कमरे में भरने के बाद अपने आप ही निकल जाता है रिकॉर्ड भी नष्ट होने का खतरा बना रहता है. वहीं पटवार खाने में काम करवाने आए सरदार प्रभजीत सिंह ने बताया कि जर्जर इमारत गिरने से रिकॉर्ड भी खत्म होने का डर लगा रहता है. उन्होंने बताया कि इस हालत में सुरक्षा का कोई  इंतजाम नहीं है. यहां से कोई रिकॉर्ड नष्ट हो जाता है उसका जिम्मेवार कोई नहीं होगा. उन्होंने बताया कि पिछले काफी समय पहले कुछ रिकॉर्ड जल गए थे, वह आज तक नहीं मिल रहे है. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 

उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड नष्ट होने के कारण कई अवैध कब्जे भी हो रहे हैं. प्रभजीत ने कहा कि इस इमारत की अगर बात करें तो चाहे वह सरकारी कर्मचारी है या आम जनता अगर कोई नुकसान होता है तो सरकार पैसे नहीं देगी. उन्होंने कहा कि मान लेते हैं सरकार पैसा भी दे दे तो सरकार जिंदगी नहीं दे सकती है. अगर कोई बड़े हादसे में किसी परिवारवालों की जान चली जाती है तो क्या सरकार उस इंसान को वापिस ला सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े-बड़े नेता अच्छे-अच्छे कमरों मैं बैठते हैं. जबकि इन्हें जर्जर हालत की इमारत में बिठाया हुआ है. उनका कहना था की पटवारी लगने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उसके बाद इस जगह बिठा दिया जाए. जहां हालात ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पुलिस अधीक्षक व उपायुक्त कार्यालय में बैठते हैं. ऐसे ही इन्हें भी अच्छी जगह मुहैया करानी चाहिए . प्रभजीत ने कहा कि अच्छी जगह बैठने से अच्छा माहौल मिलेगा तो अच्छे काम भी होंगे.

पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता जतिन खुराना ने बताया कि जिला प्रशासन व ट्रेजरी से पत्राचार हुआ था कि जिसके बाद एसडीओ व जेई  द्वारा निरीक्षण किया गया, जिसमें इमारत को कंडम घोषित किया गया था. उन्होंने बताया कि नई इमारत बनाने के लिए मुख्य कार्यालय व जिला  प्रशासन की ओर से कोई पत्राचार जारी नहीं हुए हैं. जतिन खुराना ने बताया कि इमारत के ध्वस्त  का एस्टीमेट बना कर दे दिया गया था. उन्होंने बताया कि करीब 2019 को इस इमारत को कंडम घोषित किया गया था. उन्होंने जानकारी दी कि एचसीएस स्तर पर नई इमारत बनने के आदेश जारी होते हैं.

अब प्रश्न यह उठता है कि जब सरकारी इमारतों में अधिकारी व कर्मचारी ही सुरक्षित नहीं है तो सरकार आम जनता की सुरक्षा कैसे करेगी. दूसरा सवाल यह उठता है 21-6 -2021 को जो ध्वस्त का स्टीमेट बनाया गया था अब 2023 आने के बाद अनुमानित लागत राशि भी लगातार बढ़ रही है.

Input: राकेश भयाना 

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