Fact Check: जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति को नहीं मिली पूजा करने की अनुमति! सामने आई वायरल तस्वीर की सच्चाई
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Fact Check: जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति को नहीं मिली पूजा करने की अनुमति! सामने आई वायरल तस्वीर की सच्चाई

Fact Check: 20 जून को अपने 65वें जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू हौज खास के जगन्नाथ मंदिर गई थीं, जहां उन्होंने गर्भ गृह के बाहर से पूजा की. राष्ट्रपति को गर्भ गृह के अंदर पूजा करने की अनुमति नहीं मिलने की खबर ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू कर दी थी, जिसकी सच्चाई अब सामने आई है. 

Fact Check: जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति को नहीं मिली पूजा करने की अनुमति! सामने आई वायरल तस्वीर की सच्चाई

Fact Check: 20 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने अपने 65वें जन्मदिन के अवसर पर दिल्ली के हौज खास स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में पूजा की थी, जिसकी वायरल तस्वीरों ने सोशल मीडिया में एक नई बहस शुरू कर दी है. दरअसल राष्ट्रपति इन तस्वीरों में मंदिर के बाहर और केंद्रीय मंत्री गर्भ गृह के अंदर पूजा करते नजर आ रहे हैं, जिन्हें देखकर लोग मंदिर प्रशासन पर जातीय भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं. अब इस मामले में मंदिर प्रशासन का पक्ष सामने आया है.    

क्या है पूरा मामला
दरअसल, 20 जून को अपने 65वें जन्मदिन और जगन्नाथ रथ यात्रा के मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू हौज खास के जगन्नाथ मंदिर गई थीं. वहां पूजा करते हुए उनकी तस्वीर राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी जारी की गई थीं, साथ ही ट्विटर पर उन्होंने रथ यात्रा की शुरुआत होने की बधाई दी थी. जिसके बाद मंदिर के गर्भ जोन की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही हैं, जिस पर कई तरह से आरोप भी लगाए जा रहे हैं.तस्वीर में दिखाया जा रहा है कि देश के राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को गर्भ जोन के बाहर पूजा कराई जा रही है, वहीं भारत सरकार के दो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्वनी वैष्णव गर्भ जोन में जाकर भगवान जगन्नाथ की पूजा कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर यह भेदभाव क्यों? क्या मंदिर के अंदर प्रेसिडेंट के साथ भी जातीय भेदभाव किया गया? इन सभी बातों को लेकर ZEE MEDIA की टीम हौज खास विलेज के जगन्नाथ मंदिर पहुंची.

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मंदिर प्रशासन ने बताई सच्चाई 
राष्ट्रपति की जिस तस्वीर को देखकर सोशल मीडिया यूजर्स जातीय भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं, उनमें फर्क साफ देखा जा सकता है. जिस तस्वीर में मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्वनी वैष्णव गर्भ जोन के अंदर पूजा करते नजर आ रहे हैं, उसमें पुजारी सहित सभी लोगों ने मास्क लगाया है. जिससे समझ आ रहा है कि ये तस्वीर कोविड काल की है. वहीं मंदिर के पुजारियों द्वारा भी इस बात की पुष्टि की गई है. वहीं राष्ट्रपति 20 जून को सुबह 6:30 बजे अपने जन्मदिन के दिन यहां पूजा करने आई थी, ये दूसरी तस्वीर है. पुजारियों से बात करने के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि ये दोनों तस्वीरें अलग-अलग हैं, लेकिन अब दूसरा सवाल ये था कि मंत्री गर्भ गृह के अंदर पूजा कर रहे हैं, जबकि राष्ट्रपति बाहर इसकी वजह क्या है? मंदिर प्रशासन ने इसका जवाब देते हुए बताया कि भगवान जगन्नाथ के गर्भ जोन के आगे एक लकड़ी का घेरा लगा होता है जिसे 'अड़ा' कहते हैं. पूरे साल इस अड़ा के अंदर कुछ चुनिंदा पुजारियों के अलावा किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होती. चाहे वो मंदिर प्रशासन से हो या कोई भी नेता.

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साल में दो बार जब भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती है उस दौरान पारंपरिक तरीके से भगवान जगन्नाथ को गर्भ जोन से निकालकर रथ पर बिठाया जाता है, जिससे सभी लोग भगवान के दर्शन कर सकें. पूरे साल में दो बार लगभग आधे घंटे के लिए अड़ा को हटाया जाता है और जो भी अतिथि या वीवीआइपी पूजा के दौरान यहां आता है वह गर्व जोन में जाकर भगवान को लेकर रथ पर विराजमान करता है. उसके बाद रथयात्रा निकलती है.

हमने मंदिर प्रशासन से पूछा कि उस आधे घंटे के दौरान अगर राष्ट्रपति मुर्मू आई होतीं तो क्या उन्हें गर्भ जोन में जाने की अनुमति मिलती? इस सवाल पर मंदिर प्रशासन द्वारा कहा गया कि अगर ऐसा होता तो वह उनके लिए और भी गर्व की बात होती की भगवान के इस पूजन में स्वयं राष्ट्रपति शामिल हो रही हैं. इस जवाब के साथ यह साफ हो गया की दोनों तस्वीरों में जो अंतर दिखाई दे रहा है वह पूजा की परंपरा है. जिस तरह से कई मंदिरों में साल में एक तय वक्त होता है जब मुख्य कपाट खुलता है और लोग उसके अंदर जा कर पूजा कर पाते हैं, ठीक उसी तरह इस मंदिर की भी परंपरा है कि साल में दो बार लगभग आधे घंटे के लिए यह अड़ा हटता है और लोग गर्भ जोन में जाकर पूजा कर पाते हैं.

इन सवालों के स्पष्टीकरण के बाद जातीय भेदभाव को लेकर भी मंदिर प्रशासन से सवाल किया गया तो जवाब में उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भ जोन में हिंदू धर्म के किसी भी जाति के लोग रथ यात्रा निकालने के समय जब इस अड़ा को हटाया जाता है जा सकते हैं. भगवान के पूजा में हिंदू धर्म के किसी भी व्यक्ति के साथ जात-पात का भेदभाव नहीं माना जाता है. मंदिर प्रशासन द्वारा तमाम सवालों के स्पष्टीकरण के बाद यह साफ हो गया कि नई और पुरानी तस्वीरों को दिखाकर कहीं ना कहीं सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैलाने की कोशिश की जा रही है.मंदिर प्रशासन द्वारा यह अपील भी की गई कि भगवान जगन्नाथ पूरे जगत के नाथ है जब भगवान अपने भक्तों में भेदभाव नहीं रखते तो भला इंसान कैसे भेदभाव कर सकता है. लिहाजा आस्था के नाम पर किसी तरह की अफवाह ना फैलाएं और भगवान जगन्नाथ सबका भला करें. वायरल टेस्ट में ये खबर झूठी साबित हुई. 

Input- Mukesh Singh

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