भारतीय नोटों में बदलाव करने और नए नोट जारी करने के क्या हैं नियम कानून?
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भारतीय नोटों में बदलाव करने और नए नोट जारी करने के क्या हैं नियम कानून?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मांग की है कि नोट में गांधी जी के साथ दूसरी ओर लक्ष्मी और गणेश जी की तस्वीरें भी लगाई जानी चाहिए. जिसको लेकर आज हम आपको ये बताएंगे कि आखिर इंडियन करेंसी कैसे प्रिंट होती है, इसके नियम कानून क्या है.

भारतीय नोटों में  बदलाव करने और नए नोट जारी करने के क्या हैं नियम कानून?

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने देश का रोडमैप बताया. जिसमें उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार से मांग की है कि नोट में गांधी जी (Gandhi ji) के साथ दूसरी ओर लक्ष्मी (Laxmi) और गणेश जी (Ganesh ji) की तस्वीरें भी लगाई जानी चाहिए. केजरीवाल ने कहा कि ये शुरुआत फ्रेश नोटों से की जानी चाहिए. सरकार इस पर क्या फैसला लेती है यो तो देखने वाली बात होगी, लेकिन बता दें कि देश में भारतीय करेंसी (Indian Currency) को जारी करने का जिम्मा देश के रिजर्व बैंक के पास होता है. उसके जारी किए गए नोट ही मान्य होते हैं. साल 2016 में नोटबंदी (Demonetization) के दौरान सरकार ने 2 हजार का नोट जारी किया था. 

तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर नए नोटों को किस तरह से जारी किया जाता है, उसका क्या प्रोसेस होता है. भारतीय एक्ट की धारा 22 के अनुसार, रिजर्व बैंक के पास भारत में नोट जारी करने का अधिकार होता है. धारा 25 में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों पर विचार करने के बाद बैंक नोट का डिजाइन, रूप और सामग्री केंद्र सरकार उसको स्वीकार करती है. 

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रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार और बारी के स्केट होल्डर्स से मशवरा करके एक साल में मूल्यवर्ग-वार संभावित आवश्यक मात्रा में बैंक नोटों का हिसाब करता है और बैंक नोटों की सप्लाई के लिए अलग-अलग करेंसी प्रिंटिंग प्रेसों को मांगपत्र जारी करता है. रिजर्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति (Clean Note Policy) के मुताबिक आम जनता को अच्छी क्वालिटी के बैंक नोट उपलब्ध कराता है. इसको ध्यान में रखते हुए, चलन से वापस ले लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है और जो मार्केट में जाने के लिए सही हैं उन्हें फिर से जारी किया जाता है, जबकि गंदे और कटे-फटे बैंक नोट को नष्ट कर दिए जाते हैं. जिससे कि बैंक नोटों की क्वालिटी बनी रहे. 

सिक्कों के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा सप्लाई किए जाने वाले सिक्कों के वितरण तक सीमित है. सिक्का अधिनियम, 2011 के मुताबिक अलग-अलग मूल्यवर्ग के सिक्कों को डिजाइन करने और उनको ढालने की जिम्मेदारी भारत सरकार की होती है.

रिज़र्व बैंक जनता के बीच करेंसी का वितरण कैसे करता है ?

रिज़र्व बैंक अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरूवनंतपुरम स्थित 19 निर्गम कार्यालयों और कोच्चि स्थित एक मुद्रा तिजोरी के जरिये करेंसी परिचालनों का मैनेज करता करता है. मुद्रा तिजोरी उसको कहा जाता है जहां रिजर्व बैंक उनके परिचालन क्षेत्रों में आने वाले बैंक शाखओं में वितरण ते लिए स्टोर किया जाता है.  इसके अलावा, बैंकों के सुपरविजन और मैनेजमेंट के तहत मुद्रा तिजोरियों का नेटवर्क मुद्रा प्रबंधन संरचना (network currency management structure) का एक हिस्सा है. निर्गम कार्यालय करेंसी प्रिंटिंग प्रेस से नए नोट लेता है और बदले में नए बैंक नोट मुद्रा तिजोरियों को भेजता है.

रिज़र्व बैंक के हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली स्थित कार्यालय सिक्के के कारखानों से सिक्के प्राप्त करते हैं. इसके बाद ये कार्यालय सिक्कों को रिज़र्व बैंक के बाकी कार्यालयों को भेजते हैं जो इन सिक्कों को मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्का डिपो में भेजते हैं.  बैंकनोट तथा सिक्कों का भंडारण मुद्रा तिजोरियों में तथा छोटे सिक्कों का भंडारण छोटे सिक्का डिपो में किया जाता है.  बैंक शाखाएं मुद्रा तिजोरियों और छोटे सिक्का डिपो से बैंकनोट और सिक्के प्राप्त करती हैं, जिनका वितरण आम जनता को किया जाता है. 

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