हैलो मैम! अब पति को मत कहना निकम्मा-बेराजगार, वरना हो जाएगा तलाक; इन शब्दों से भी है खतरा!
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हैलो मैम! अब पति को मत कहना निकम्मा-बेराजगार, वरना हो जाएगा तलाक; इन शब्दों से भी है खतरा!

Calcutta High Court On Divorce: कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर कोई पत्नी अपने पति को निकम्मा, नाकारा और बेरोजगार कहती है तो पति की ओर से दायर तलाक याचिका में यह आधार बन सकता है.

Divorce New Law

Landmark decision on divorce: कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने अपने जजमेंट में अनोखा फैसला सुनाया है. अगर कोई पत्नी अपने पति को निकम्मा-कायर और बेरोजगार कहती है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है. इसके अलावा उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अगर पत्नी अपने पति पर माता-पिता से अलग होने के लिए जोर डालती है या ऐसा कोई काम करती जिससे पति को माता-पिता से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़े, तो भी तलाक के लिए सुनवाई की जा सकती है. इसके अलावा ये तलाक के लिए बेस बन सकता है.

भारतीय समाज में बेटे का माता-पिता के साथ रहना आम बात

जस्टिस सोमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने एक फैसले पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारतीय समाज में शादी के बाद बेटा अपने माता-पिता के साथ रहता है जो कि एक आम बात है. अगर शादी के बाद किसी शख्स को उसकी पत्नी परिवार से अलग रहने का दबाव बनाती है और उसके पीछे कोई उचित कारण नहीं मिलता है तब पति इस आधार पर तलाक की अर्जी डाल सकता है. इसके अलावा पति को मानसिक प्रताड़ना देना भी तलाक का कारण बन सकता है.

किराए के मकान में पति

आपको बता दें कि 25 मई 2009 को खंडपीठ पश्चिम मदीनापुर परिवार अदालत ने एक फैसला सुनाया था जिसमें पति को हिंसा के आधार पर तलाक देने का अधिकार दिया गया. इसी फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका दाखिल की गई थी जिस पर कोर्ट का फैसला आया है. गौरतलब है कि साल 2001 में दंपत्ति के विवाह को तोड़ दिया गया था. साल 2009 में आए इस मामले में पत्नी की क्रूरता की वजह से तंग आकर पति वैवाहिक जीवन को शांतिपूर्ण बनाना चाहता था जिसकी वजह से वो अपने घर और माता-पिता को छोड़कर पत्नी संग किराए के मकान में रहने लगा था.

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