Manipur Violence News: यूएस राजदूत की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह शायद पहली बार है जब उन्होंने किसी अमेरिकी दूत को इस तरह की टिप्पणी करते हुए सुना है.
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India-US Relations: भारत में अमेरिकी दूत एरिक गार्सेटी ने कोलकाता में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि वाशिंगटन मणिपुर की स्थिति के संबंध में किसी भी तरह से 'सहायता के लिए तैयार' है. अमेरिकी राजदूत के इस बयान के बाद अब भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. द टेलीग्राफ ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अरिंदम बागची के हवाले से कहा, 'मैंने अमेरिकी राजदूत की वे टिप्पणियां नहीं देखी हैं. अगर उन्होंने कहा है तो हम देखेंगे... मुझे लगता है कि हम भी वहां शांति स्थापना की कोशिश कर रहे और मुझे लगता है कि हमारी एजेंसियां और हमारे सुरक्षा बल यही काम कर रहे हैं, हमारी स्थानीय सरकार भी इस पर काम कर रही है.'
द टेलीग्राफ के मुताबिक बागची ने कहा, 'मुझे यकीन नहीं है कि विदेशी राजनयिक आमतौर पर भारत में आंतरिक डेवलपमेंट पर टिप्पणी करेंगे, लेकिन जो कहा गया है उसे देखे बिना मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा.'
#WATCH | US ambassador to India Eric Garcetti speaks on Manipur violence, says," I don't think it's about strategic concerns, it's about human concerns. You don't have to be an Indian to care when children or individuals die in this sort of violence. We know peace as a precedent… pic.twitter.com/4ZniEo6Opz
— ANI (@ANI) July 7, 2023
क्या कहा था गार्सेटी ने?
गार्सेटी, 'जो इस समय पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में हैं, ने मणिपुर में चल रही हिंसा के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह रणनीतिक चिंताओं के बारे में है, यह मानवीय चिंताओं के बारे में है. जब इस प्रकार की हिंसा में बच्चे या व्यक्ति मरते हैं तो आपको इसकी परवाह करने के लिए भारतीय होने की आवश्यकता नहीं है.' उन्होंने कहा, 'हम शांति को कई अच्छी चीजों के लिए एक मिसाल के रूप में जानते हैं.'
गार्सेटी के बयान पर कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया
गार्सेटी की टिप्पणी पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता मनीष तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह शायद पहली बार है जब उन्होंने किसी अमेरिकी दूत को इस तरह की टिप्पणी करते हुए सुना है.
तिवारी ने ट्वीट किया, 'सार्वजनिक जीवन में कम से कम 4 दशक पीछे जाने पर जहां तक मुझे याद है, मैंने कभी किसी अमेरिकी राजदूत को भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देते नहीं सुना है.' उन्होंने लिखा, 'हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और सूझबूझ और बुद्धिमत्ता से उन पर विजय प्राप्त की.'
तिवारी ने आगे कहा, 'अमेरिका में बंदूक हिंसा हो रही है और कई लोग मारे गए हैं. हमने अमेरिका से कभी नहीं कहा कि वह हमसे सीखे कि इस पर कैसे लगाम लगाई जाए. अमेरिका को नस्लवाद को लेकर दंगों का सामना करना पड़ता है. हमने उनसे कभी नहीं कहा कि हम उन्हें व्याख्यान देंगे... शायद नए राजदूत के लिए भारत-अमेरिका संबंधों के इतिहास का संज्ञान लेना महत्वपूर्ण है.'