Lok Sabha Election: लोकतंत्र से अछूता बस्तर का गांव! लोगों को पता ही नहीं क्या है चुनाव? जानें कभी क्यों नहीं की वोटिंग
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2210134

Lok Sabha Election: लोकतंत्र से अछूता बस्तर का गांव! लोगों को पता ही नहीं क्या है चुनाव? जानें कभी क्यों नहीं की वोटिंग

Lok Sabha Election 2024: बस्तर में लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इससे पहले आइये जानते हैं यहां के दामन गांव के बारे में जहां के लोगों को लोकतंत्र की जानकारी ही नहीं है. सबसे बड़ी बात की ये गांव सरकारी अस्तित्व में ही नहीं और यहां लोगों के पास किसी तरह का कोई कार्ड भी नहीं है.

Lok Sabha Election: लोकतंत्र से अछूता बस्तर का गांव! लोगों को पता ही नहीं क्या है चुनाव? जानें कभी क्यों नहीं की वोटिंग

Bastar Lok Sabha Chunav:दंतेवाड़ा। देश में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 7 चरणों में मतदान होना है. इसमें पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. इसमें छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट भी शामिल है. नक्सल प्रभावित बस्तर में एक ऐसा गांव है जहां देश में 17 आम चुनाव के बाद भी लोगों ने कभी किसी चुनाव में वोट नहीं डाला. सबसे बड़ी बात दामन गांव के लोगों को लोकतंत्र की जानकारी ही नहीं है. इतना ही नहीं ये गांव सरकार अस्तित्व में नहीं और यहां के लोगों के पास किसी तरह को कोई कार्ड भी नहीं है.

चुनाव क्या होते हैं ?
लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाला यह सवाल दंतेवाड़ा के दामन गांव के बुजुर्ग पूछते हैं. इस गांव में देवा नाम के एक बुजुर्ग है लेकिन, उन्होंने अपने अभी तक के जीवन काल में कभी वोट नहीं किया. इतना ही नहीं इस गांव के दूसरे सदस्यों की उंगलियों पर कभी नीली स्याही नहीं लगी है.

अस्तित्व में नहीं है गांव!
दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित गुमियापाल पंचायत में ये गांव आता है. सड़क से महज पांच किलोमीटर अंदर बसे दामन गांव में महज बीस से पच्चीस घर हैं. आजादी के 77 साल बाद भी  इस गांव के लोगों के पास इनकी कोई पहचान नहीं है. ना तो इनके पास आधार कार्ड है ना ही राशन कार्ड है और ना ही मतदाता पहचान पत्र है. कागजी तौर पर तो भारत सरकार के लिए यह गांव अस्तित्व में ही नहीं है.

क्या कहते गांव वाले ?
गांव के 75 वर्षिय देवा मीड़यामी गोंडी भाषा में बताते हैं कि उन्होंने आज तक वोट नहीं डाला है. उन्हें नहीं पता की कौन सा चुनाव है और किस लिए हो रहा है. वह किसी नेता को भी नहीं जानते. वह जानते है तो सिर्फ सरपंच को जो गांव में कभी कभार ही आता है.

गांव में 10वीं पास हड़मा कहते हैं कि गांव में कभी कोई जागरूकता दल नहीं आया है और ना ही गांव वालों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. गांव के लोगों को नहीं मालूम की वोट कब होना है. इन लोगों ने कभी वोट डाला ही नहीं है.

गांव के युवा  लिंगा कोड़ोपी ने बताया कि ऐसा नहीं है की ग्रामीण मतदान नहीं करना चाहते. अहम बात यह है कि यहां लोगों के पास उनकी कोई पहचान नहीं है.  इस गांव तक कभी शासन प्रशासन पहुंचा ही नहीं है.

कलेक्टर कराएंगे जांच
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी से जब इस गांव के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहने की बात कही. उन्होंने तत्काल तहसीलदार को बुलाया और दामन गांव की जानकारी लेने की बात कही. कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कहा ऐसा हो नहीं सकता की कोई गांव मतदाता पहचान पत्र के बगैर हो. इस मामले की गहराई से जांच करवाई जाएगी.

Trending news