Indian Railway: कोर्ट ने दिए कर्नाटक एक्सप्रेस के इंजन कुर्की के आदेश, रेलवे में मच गया हड़कंप, जानिए मामला
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Indian Railway: कोर्ट ने दिए कर्नाटक एक्सप्रेस के इंजन कुर्की के आदेश, रेलवे में मच गया हड़कंप, जानिए मामला

Khandwa News: खंडवा में रेल के इंजन और स्टेशन मास्टर के कार्यालय के सामान को कुर्क करने का एक अनोखा मामला सामने आया है. हालांकि रेलवे ने इसे कुर्क होने से कैसे बताया उसे जानने के लिए आपको ये स्टोरी पढ़ना होगी.

Indian Railway: कोर्ट ने दिए कर्नाटक एक्सप्रेस के इंजन कुर्की के आदेश, रेलवे में मच गया हड़कंप, जानिए मामला

Khandwa News: खंडवा में रेल के इंजन और स्टेशन मास्टर के कार्यालय के सामान को कुर्क करने का एक अनोखा मामला सामने आया है. पूरा मामला रेलवे स्टेशन पर लगभग 65 सालों से व्यवसाय करने वाले कैटरिंग संचालक और सेंट्रल रेलवे का है. इसमें टेंडर की शर्तों के विपरीत जाकर रेल विभाग ने कैटरिंग संचालक से लाखों रुपए किराए का बिल वसूल किया. कैटरिंग संचालक का कहना था कि टेंडर शर्तों के अनुसार लाइसेंस फीस में ही किराया समाहित है लेकिन रेलवे ने एक न सुनी और उसके व्यवसाय पर ताला जड़ दिया. जब कैटरिंग संचालक कोर्ट पहुंचा तो वो इस केस को जीत गया.

बता दें कि जब रेलवे ने कैटरिंग संचालक से किराए के नाम पर जबरन वसूल किए गए 35 लाख रुपए नहीं लौटाए तब खंडवा न्यायालय ने कर्नाटक एक्सप्रेस ट्रेन का इंजन, स्टेशन मास्टर कार्यालय और बुकिंग काउंटर के सामान को कुर्क करने के आदेश दे दिए. कोर्ट का फैसला आते ही तुरंत रेल विभाग ने कैटरिंग संचालक को 36 लाख रुपए लौटा दिए. 

जानिए ये पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला खंडवा के रेलवे स्टेशन पर कार्यरत मेसर्स कपूर एंड पीआर महंत से जुड़ा है. लाइसेंसी राजीव सेठी का कहना हैं कि 1956 से रेलवे स्टेशन पर केटरिंग व्यवसाय कर रहे हैं. 2017 में रेलवे ने भट्टी रूम यानी किचन और स्टोर रूम के नाम पर किराए की मांग कर दी. पहले हमसे 4 लाख 58 हजार 16 रुपए प्रतिवर्ष की दर से 27 लाख 48 हजार 96 रुपए किराया लिया. जिसे बाद में बढ़ाकर 35 लाख 65 हजार 13 रुपए कर दिया. फिर रेलवे ने सख्ती करते हुए किचन रूम पर तालाबंदी कर दी. कैटरिंग संचालक ने बताया कि लाइसेंस फीस में ही किराया समाहित है. रेलवे द्वारा की जा रही मांग अवैधानिक है. कैटरिंग संचालक न्यायालय की शरण में गए, इस दौरान उन्होंने किराया भी भरा. मामला 5 साल तक चला और फैसला कैटरिंग संचालक के पक्ष में आया.

वहीं कोर्ट के फैसले के बाद भी जब रेलवे द्वारा अंडर प्रोटेस्ट जमा की गई राशि नहीं दी तो फिर मेसर्स कपूर एंड पी आर महंत के लाइसेंसी राजीव सेठी ने वकील के माध्यम से लाइसेंस फीस में ही किराया समाहित होने की बात कहकर वाद दायर (Claim) कर दिया. मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर, चीफ कमर्शियल मैनेजर व अन्य चार के खिलाफ ये वाद प्रस्तुत किया गया. अंडर प्रोटेस्ट मनी लौटाने के लिए रेलवे को कई मौके दिए गए, जिसमे रेलवे आनाकानी कर रहा था. 

कर्नाटक एक्सप्रेस का इंजन कुर्की से बचा
राजीव सेठी ने बताया कि जब कुर्की के लिए न्यायालय ने रेलवे की चल संपत्ति का ब्योरा मांगा तब हमने कर्नाटक एक्सप्रेस का इंजन, स्टेशन प्रबंधक ऑफिस और बुकिंग कार्यालय में रखे सामान का उल्लेख किया, जिस पर 27 फरवरी को कोर्ट ने मुहर लगाई. कुर्की के डर से रेलवे ने न्यायालय के समक्ष 36 लाख 64 हजार 128 का डिमांड ड्राफ्ट दे दिया. इस तरह से कर्नाटक एक्सप्रेस के इंजन, रेलवे स्टेशन प्रबंधक ऑफिस और बुकिंग कार्यालय की कुर्की होने से बच गई.

इस फैसले के बाद कैटरिंग संचालक ने कहा कि हिंदुस्तान के न्यायालय में आज भी न्याय जिंदा है. मामला साफ सुथरा हो तो पीड़ितों को न्याय जरूर मिलता है.

रिपोर्ट - प्रमोद सिन्हा

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