Advertisement
trendingPhotos/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2207400
photoDetails1mpcg

MP News: भीषण गर्मी से पहले ही पानी के लिए संघर्ष शुरू, बड़वानी में 3 KM दूरी तय कर लोग बुझा रहे प्यास

Water Shortage in Barwani: एक तरफ जहां गर्मी ने अपना प्रकोप दिखाना सिर्फ शुरू ही किया है, वहीं दूसरी तरफ पानी के स्रोत अभी से दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. अप्रैल के महीने में ही चिलचिलाती धूप में मध्य प्रदेश के बड़वानी में रहने वाले आदिवासियों के सामने पानी की समस्या खड़ी हो गई है. अपनी प्यास बुझाने के लिए ग्रामीणों को 2-4 किलोमीटर पहाड़ी से उतर कर नदी-नालों में झिरी बनाकर पानी लाना पड़ रहा है. वहीं, जिनके पास के पास खच्चर है वे पानी लाने के लिए खच्चरों का सहारा ले रहे हैं.   

 

1/8

आदिवासी क्षेत्र बड़वानी के लोग पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. ऐसी चिलचिलाती धूप में पीने की पानी की तलाश में वे करीब 4 किलोमीटर पहाड़ी से उतर कर नदी-नालों में गड्ढा कर रहे हैं और पोखर बनाकर पानी लाने के लिए मजबूर हैं. 

 

2/8

 यहां लोग अपने सिर पर या खच्चर पर पानी का बरतन लादकर 2 से 4 किलोमीटर का मुश्किलों से भरा सफर तय कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. गांव के पास के नदी-नाले सूख चुके हैं. ऐसे में उन्हीं नदी- नालों में गांव वाले झिरी खोदकर पानी जुटा रहे हैं.

 

3/8

50 साल के बुजुर्ग झिनला ने बताया कि उनके मोहल्ले में एक हैंडपंप तो है, लेकिन उसमें पानी दिन में सिर्फ एक या आधे घंटे के लिए ही आता है. गर्मी के मौसम में तो वह भी सूख जाता है. गांव में स्कूल, सड़क और पानी की बहुत सम्सया है. 

 

4/8

 लोगों का कहना है कि उन्हें एक दिन में 3 से 5 बार पानी लाने के लिए करीब 4 किलोमीटर चलना पड़ता है. आने-जाने में काफी समय लग जाता है, जिससे बच्चों को पढ़ाई में भी नुकसान हो रहा है. छोटे बच्चे की देखभाल के लिए महिलाएं अपने बड़े बच्चों को घर में ही छोड़कर पानी भरने जाती हैं, जिससे वह स्कूल नहीं जा पाते हैं. 

 

5/8

 गांव में रहने वाले रुलसिंग का कहना है कि सुबह 4 बजे से पानी लाने जाने के लिए उठना पड़ता है. नर्मदा नदी को घेर के बैठना पड़ता है. नर्मदा वाले नर्मदा नदी जाते हैं और झड़खन वाले झड़खन नदी जाते हैं. पिछले साल यहां हैंडपंप के लिए 8 पॉइंट लगाए थे, आठों पॉइंट से पानी निकला था लेकिन सिर्फ 2 में ही हेड पंप चले और 6 बंजर पड़े हैं.    

 

6/8

 ग्रामीणों का कहना है कि बड़वानी के सांसद और राज्यसभा सांसद दोनों आदिवासी समुदाय से हैं, फिर भी उन्होंने आदिवासियों की समस्या को लेके कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. 

 

7/8

इस पूरे मामले पर बड़वानी के एसडीएम भूपेंद्र ने बताया कि पहले भी इस तरह की समस्या आई थी, जिसके चलते बोरवेल करवाया गया था. अगर अभी भी इस तरह की समस्या है तो PHE और संबंधित पंचायत से मामले की जांच कराएंगे. अगर जरूरी हुआ तो वहां पेयजल के लिए और बोरवेल से खनन करवाएं जाएंगे. 

 

8/8

 हर साल की तरह इस साल भी गर्मी में गांव वालों के सामने सबसे बड़ी समस्या पानी की ही है. अभी तो बस गर्मी की शुरुआत है. अगर शुरुआत में ये हाल है तो आगे आने वाले समय में समस्या और बढ़ सकती है. ऐसे में प्रशासन को गांव वालों की सुविधा के लिए जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.