Bamboo को कहा जाता है 'हरा सोना', जानिए हिंदू धर्म में क्यों है इसे जलाने की मनाही?
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Bamboo को कहा जाता है 'हरा सोना', जानिए हिंदू धर्म में क्यों है इसे जलाने की मनाही?

World Bamboo Day: आज दुनियाभर में वर्ल्ड बैंबू डे मनाया जा रहा है. बांस दुनिया के सबसे अहम पेड़ों में से एक है, इसके पृथ्वी और इंसानी जीवन के लिए काफी फायदे हैं. तो आइए जानते हैं कि बांस के पेड़ की हमारे लिए क्या अहमियत है. 

Bamboo को कहा जाता है 'हरा सोना', जानिए हिंदू धर्म में क्यों है इसे जलाने की मनाही?

World Bamboo Day: Bamboo (बांस) दुनिया के सबसे अद्भुत पेड़ों में से एक है. यह ना सिर्फ सबसे तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है बल्कि यह धरती के लिए भी काफी अहम है. जमीन का कटाव रोकने, ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने और अपने औषधीय गुणों के मामले में बांस के फायदे गजब हैं. साथ ही बांस का उत्पादन किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है. यही वजह है कि पूरी दुनिया इसकी खूबियों का लोहा मानती है. आज दुनियाभर में वर्ल्ड बैंबू डे (World Bamboo Day) मनाया जा रहा है.

हिंदू धर्म में है बांस जलाने की मनाही
हिंदू शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है. यही वजह है कि किसी भी हवन या पूजन में बांस को नहीं जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि बांस को जलाने से व्यक्ति का वंश नष्ट हो जाता है और पितृ दोष लगता है. ऐसा भी माना जाता है कि जहां बांस का पेड़ होता है, वहां बुरी आत्माएं नहीं आती. बांस को नहीं जलाने का वैज्ञानिक कारण ये है कि बांस की लकड़ी में लेड के साथ कई अन्य धातु पाई जाती हैं. ऐसे में इन्हें जलाने पर ये धातुएं ऑक्साइड बना लेती हैं, जिससे वातावरण दूषित हो जाता है. इससे इंसानों में लिवर और न्यूरो संबंधी परेशानियां बढ़ सकती है. 

बांस के फायदे
बांस दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है. बांस की कुछ प्रजातियां तो एक दिन में एक मीटर तक बढ़ सकती हैं. इसके तेजी से बढ़ने के चलते ही इससे फर्नीचर के लिए बेहतरीन लकड़ी मिलती है और यह काफी मजबूत भी होता है.

ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है
बांस का पेड़ अपने जैसे पेड़ों के मुकाबले 35 फीसदी ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है. इस तरह बांस का पेड़ पर्यावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइ आक्साइड को बैलेंस करता है. इस तरह पर्यावरण के लिए बांस का पेड़ काफी फायदेमंद है. बांस से कपड़ों का भी निर्माण किया जाता है. 

मिट्टी का कटान रोकता है
बांस के पेड़ की जड़ें काफी फैली हुई और चेन की तरह होती हैं. इस तरह बांस की जड़ें मिट्टी को मजबूती से पकड़े रहती हैं और मिट्टी के कटान को रोकती हैं. कुछ देशों में तो बांस के तने को खाया भी जाता है. वहीं कुछ जगह बांस के बर्तन बनते हैं और उनमें खाना पकाया जाता है. बांस में अमीनो एसिड, पोटेशियम, एंटी ऑक्सीडेंट्स, सीलेनियम, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, तो बांस का सेवन सेहत के लिए भी अच्छा है. 

स्टील जितना मजबूत
स्टील दुनिया के सबसे मजबूत धातुओं में से एक है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बांस भी मजबूती के मामले में स्टील से कम नहीं है. दरअसल बांस बिना टूटे किसी भी लोड को उठाने के मामले में स्टील से भी आगे है. यही वजह है कि बांस के बने स्ट्रक्चर बेहद मजबूत होते हैं. 

आर्थिक रूप से फायदेमंद
बांस की खेती आर्थिक रूप से भी बेहद फायदेमंद है. दरअसल बांस दुनिया से सबसे आत्मनिर्भर पेड़ों में से एक है. इसे उगाने के लिए फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड्स आदि की जरूरत नहीं होती. साथ ही पानी की जरूरत भी काफी कम होती है. बांस पर लगने वाले कीड़ों से भी बांस खुद ही निपटता है. यही वजह है कि बांस को उगाने में बेहद कम संसाधन लगते हैं और यह बेहद मुश्किल हालात में भी उग सकता है. इसकी खूबियों को देखते हुए इसकी मांग भी काफी है. ऐसे में बांस की खेती किसानों के लिए आय बढ़ाने का बेहतरीन विकल्प है. अभी हमारे देश में उत्तर पूर्वी राज्यों में ही बड़े पैमाने पर बांस उगाया जाता है.  

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